गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009
बीते पल फिर याद आए
मुस्कुराहटो को जब याद किया
मन की शिकन दूर हुयी
चेहरा खिल सा गया।
खिल खिलखिलती मस्तीयो में,
चहकती पंक्तियो में,
बहुत से चेहरे मुस्कुराए
कुछ बाते करते- करते
बीते पल फिर याद आए।
डॉ किरण बाला
मन की शिकन दूर हुयी
चेहरा खिल सा गया।
खिल खिलखिलती मस्तीयो में,
चहकती पंक्तियो में,
बहुत से चेहरे मुस्कुराए
कुछ बाते करते- करते
बीते पल फिर याद आए।
डॉ किरण बाला
कड़वा सच
कोई मंजिल तुमारा किनारा नही हे
जो मिल जाता हे
वो सहारा नही हे।
यह कह देना की दगा तुमने दी हे
बिना सोचे तीरों की पीडा तुमने दी हे
यह बात कुछ हद तक ग़लत भी नही हे।
लोग देखते हे वो
सुनते हे वो
जो उनकी समझ की
गहराएओ में बसा हे।
डॉ किरण बाला
सोमवार, 12 अक्टूबर 2009
बीता हुआ कल
ओठो की नरमी
सांसो की गरमी
जब दूरिया लाँघ कर
एक हो जाती हे
तो छंट जाती हे मायूसी की पर्छयी।
चंद फिक्रो ओ नज्म बना कर
खो सकते हे दूरिया सब कुछ भुला कर
तभी सरसरा कुछ रंग लायेगा
बीता हुआ कल फिर लौट आयेगा।
डॉ किरण बाला
सांसो की गरमी
जब दूरिया लाँघ कर
एक हो जाती हे
तो छंट जाती हे मायूसी की पर्छयी।
चंद फिक्रो ओ नज्म बना कर
खो सकते हे दूरिया सब कुछ भुला कर
तभी सरसरा कुछ रंग लायेगा
बीता हुआ कल फिर लौट आयेगा।
डॉ किरण बाला
शिथिलता से तुम उभरो
बहुत से लोग
बहुत सा शोर
लेकिन मन तुम्हारा कही और।
अजीब सा सन्नाटा हे।
उलझन हे बहुत,
कुछ न कहने की
पहचान से रूबरू होने की,
ललक हे बहुत।
लगता हे जीवन की
परच्चईया,
पीछे मुड कर हमें देख रही हे
आसपास की जिन्दादिली
कहती हे एक कहानी।
घूर- घूर कर उलाहना
दे जाती हे अपनी ज़ुबानी।
कही तो चलो
कुछ तो करो
गुजर रहा हे वक्त
shithilta se tum ubharo
डॉ किरण बाला
बहुत सा शोर
लेकिन मन तुम्हारा कही और।
अजीब सा सन्नाटा हे।
उलझन हे बहुत,
कुछ न कहने की
पहचान से रूबरू होने की,
ललक हे बहुत।
लगता हे जीवन की
परच्चईया,
पीछे मुड कर हमें देख रही हे
आसपास की जिन्दादिली
कहती हे एक कहानी।
घूर- घूर कर उलाहना
दे जाती हे अपनी ज़ुबानी।
कही तो चलो
कुछ तो करो
गुजर रहा हे वक्त
shithilta se tum ubharo
डॉ किरण बाला
शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2009
Gives big nod!
When you are lost
In the search of path
Goes around
and little found.
Don't believe in yourself
All pity--whom so ever you met!
Grows around a shadow of past
leaves you 'Sunk' at the level best
Wants to swim
but the limbs are frozen
Breathe so hard
And the depth just kills.
There is little hope for the last revive
Still wants 'peak'
And lots in stride.
Painful to think
that things don't move
It's hard to belive that hope has gone.
Believe it or not
But the truth stands tall.
Glares at you
And gives big Nod!
Dr Kiran bala
f
In the search of path
Goes around
and little found.
Don't believe in yourself
All pity--whom so ever you met!
Grows around a shadow of past
leaves you 'Sunk' at the level best
Wants to swim
but the limbs are frozen
Breathe so hard
And the depth just kills.
There is little hope for the last revive
Still wants 'peak'
And lots in stride.
Painful to think
that things don't move
It's hard to belive that hope has gone.
Believe it or not
But the truth stands tall.
Glares at you
And gives big Nod!
Dr Kiran bala
f
truth
Life is a song
with turbulent waves
Bring old memories
which never fades.
keep mind busy
Let it not stray
Think of the good
And pray everyday!
Dr Kiran bala
with turbulent waves
Bring old memories
which never fades.
keep mind busy
Let it not stray
Think of the good
And pray everyday!
Dr Kiran bala
शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009
wisdom of life
Life is like a book in volume three
The past
The present
And the yet to be.
The first we repent everyday
The second we live and lead the way
But the third and last of the volume three
Is locked from view---and lost the key!
Dr kiran bala
The past
The present
And the yet to be.
The first we repent everyday
The second we live and lead the way
But the third and last of the volume three
Is locked from view---and lost the key!
Dr kiran bala
Love
love is blind
love is kind
love is essence
of mankind!
Baby when born
loves his mother
As he grows
loves little brother
When goes school
friends arrive
love of the teacher
And mankind
Reads books
And write love letters
Then arrive
the sweetheart ether!
Dr kiran bala
love is kind
love is essence
of mankind!
Baby when born
loves his mother
As he grows
loves little brother
When goes school
friends arrive
love of the teacher
And mankind
Reads books
And write love letters
Then arrive
the sweetheart ether!
Dr kiran bala
गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009
पतझर
इस बाग़ में हे लग रहा
मुरझा गए हे फूल सब
खुशबु जो महक थी कभी
उकता गए हे आज सब।
दीवानगी होती कभी थी
आज सब खामोश हे।
बीते पलो के साथ भी
इंतजार आज तक।
डॉ किरण बाला
ह्दय शिकवो से हे भरा
वही तन गर्व था जिस पर
धोखा दे ही जाता हे
हमें आश्रित बना कर यु
गलानी सी कराता हे।
सभी ने फेर ली आंखे
न सुन सकते वो यह गाथा
न तन में जान हे ज्यादा
न मन में शान्ति का मंजर
ह्दय शिकवो से हे भरा
मगर एहसान हे ज्यादा।
डॉ किरण बाला
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