बहुत सोचने वाले मन में
आज नही हे कोई विचार
बार बार दोहरा लेते हे
याद रहे जो अक्षर चार।
केसे हो तुम
कब आओगे
कब खाएय्गे खाना आज
इस के आगे नही बढेगी
बोल चाल की यह आवाज।
डॉ किरण बाला
I have written poems from published hindi poetry book titled 'dil ke batein'. I am a pediatrician and a published writer and poet.Presenting my views to others is my hobby.
जीवन के रिक्त स्थानों में
हम खो जाते हे।
कुछ खुशी के लम्हों के लिए
यु ही लुट जाते हे।
कही स्याही की रौनक
कही ल्फ्सो की हरकत
धर्कते दिलो को जोड़ कर
मुकमल बना जाते हे।
डॉ किरण बाला