डर के पल
कुछ माउस सा था मन
आज सुबह से ही।
किसी तरह
मन को सम्भाला।
दिन गुजरा
शाम को भी निकाला।
रात में जब
लम्बी सड़क पर
ड्राइवर ने
गाड़ी उल्टी चलाई
दिल की धड़कन
तेज हुई
ऐसे लगा
मौत पास में आई।
यू लग रहा था
हम अभी
सामने वाली तेज रफ़्तार गाड़ी से
टकराएँगे और एक दो तीन हो जायेगे।
कुछ मिनट बचाने के लिए
उल्टा रस्ता पकड़ा था गाड़ी चालक ने
और हमने देखा था
डर और मौत को
अपने बहुत पास।
क्षणिक जीवन
कब छोड़ दे।
पता नहीं
जो वक़्त है पास
वो जी लो खुशी के साथ
डॉ किरण बाला