सुस्ता रहे शमशान में
धुआ उठे बेजान से
हे मंजिले सबकी वही
जीता रहे जो भी कही।
डॉ किरण बाला
I have written poems from published hindi poetry book titled 'dil ke batein'. I am a pediatrician and a published writer and poet.Presenting my views to others is my hobby.
सुस्ता रहे शमशान में
धुआ उठे बेजान से
हे मंजिले सबकी वही
जीता रहे जो भी कही।
डॉ किरण बाला
यह दुनिया बेवफा
बेरहम दिल हे।
आज उसकी
कल इसकी
इसकी न कोई मंजिल हे।
जिसके तन में हे ताकत
उसने इसको हे जीता
बाकी सब को हरा कर
मुड कर पीछे न देखा।
डॉ किरण बाला
रोने से झड़ते आंसू
हंसने से गिरते फूल
इक तरफ़ खुशी हे
दूसरी और गम की धूल।
खुशी और गम
दोनों ही कम
हमें करना न इस से कुछ
खुशी अगर मिले न
दुःख से होता दुःख।
डॉ किरण बाला
मन में तरंगो का महल बनाना
तरंगो का यु ही बिखर, बिखर जाना
रह जो गया वो , मन तो नही हे
यही सोचने का द्दंग तो नही हे।
दिल चाहता हे दिल को निकाले
उसे अपने सन्मुख फिजा से बिठा ले
करले कुछ बातें बीती पुरानी
ऐसे ही बीतेगी यह जिंदगानी
डॉ किरण बाला
आँखों में सपने सुंदर बहुत हे
जाना हे दूर
पथ बस विकट हे।
कभी वक्त को थे कोसते
कभी बात अपने तक रही
थी वो घड़ी जो बीतती
मिलती नही फिर
डॉ किरण बाला
अंत कब हे आ रहा
कौन आज जानता।
जीव की हे कल्पना
वक्त ही पहचानता।
आज हम हे जी रहे
कल की कुछ ख़बर नही
गिर रहे हे काफिले
कौन दिन न हम रहे।
डॉ किरण बाला
पगडंडियो में घूमते
हम रास्ते थे दूंदते
कितना सफर मिलना अभी
न सोचते
न बोलते।
चलते रहे-चलते रहे
बस यह हमारा अशर हे
रुक गया वो खो गया
यह बात बिल्कुल सच हे।
न सोचना की यह किया
बस कर दिया-बस कर दिया।
इस सोच में थे खो गए
जो बीतता वो खो दिया।
डॉ किरण बाला
मुश्किलों के रास्ते
संगीन होते जा रहे
खो गए हम भूल कर सब
दूंद नही प् रहे।
बंदिशों का सिलसिला
यु शुरू हुआ
राह न मिली
वक्त गुजर गया।
डॉ किरण बाला
हम आज हे कल न रहे
बस बात ही तो बात थी
ऐसी कहानी हर तरफ़
हर युग में बीते साथ थी।
यह भूमिका जो मिल गयी
हमको निभानी हे पड़ी
कभी सोच कर, kabhee ponch kar
beetee kahani
keh hee dee।
dr Kiran bala
चाह कर भी पग उठाया नही
गबरा रहे बहुत
कुछ पाया नही।
चल रहा हर कोई
खवाबो को दूंदता
हम तो सोचते रहे
वक्त बस रुक गया।
डॉ किरण बाला
सुंदर हे मन
उज्वल हे तन
चिंता का कोई
बहाना न।
काया जो मिली
इश्वर की बनी
उसको तो इक दिन
जाना हे।
डॉ किरण बाला
'गर्व का अंकुर'
पतन होने से पहले,
गर्व का अंकुर उपजता हे।
न जिसका हे पता चलता
यह ऐसा काम बनता हे।
यही अंकुर का अब तक
बन चुका इक फूल सा मन में
himaakat ke taraju में
wo humko hee kuchalta he.
डॉ किरण बाला
'बेफिक्रे'
आने की न जल्दी
न थी जाने की जल्दी।
बीते हुए पलो को
भुलाने की न जल्दी।
डॉ किरण बाला
' कुछ करने को मन आया'
देख उड़ान पंक्षी की
हमें होंसला कुछ आया
नीरसता ने छोड़ा साथ
कुछ करने को मन आया।
डॉ किरण बाला
'जिसका हिसाब नही'
दुश्मन करे दुश्मनी
तो क्या हुआ
टूट जाता हे दिल
जब अपनों ने
दगा दिया।
वक्त तो किसी का
मोहताज नही
बीतेगा हर पल
जिसका हिसाब नही।
डॉ किरण बाला
'रेतिरेमेंट'
दशक चार तक
सेवा रत थे
तन और मन से काम किया
कभी न सोचा कल क्या होगा
यु ख़ुद को नाकाम किया।
आज कमर कस शुरू हो जाओ
कल की बात पुरानी हे
आगे भी म्हणत करनी हे
यह दुनिया आणि जानी हे।
डॉ किरण बाला
'वही अब कर लो'
चलते चलते उसी राह पर
उबा मन।
करते करते वही हरेक दिन
टुटा तन।
सहसा ऐसा लगा
राह को बदले हम
अब तक जो करते आए
कुछ समझे हम।
दिशा हीन से
बदली राहे अच्छी हे
जो भाये इस मन को
वही अब कर लो।
डॉ किरण बाला
'हिदायत'
जीवन इक जलता चिराग हे
बुझने को हरदम बेताब हे
छोटे छोटे गम को भूलो
खुशी-खुशी हर पल को जी लों।
डॉ किरण बाला