मन की बात
जब कभी मन में उलझन
सी आ जाती
तो कुछ ऐसा होता
की खुद पर
खुदा की
मेहरबानी
नज़र आती।
तब यकीन होता
हम ना बेचारे है।
हम तो
बहुत ख़ास है
और
ईश्वर के बहुत
पास है।
यह जिंदगी तो
तमाशा सा है
किरदारों की फितरत
इशारों का खेल
कर देता है
हर किसी को फ़ैल।
अच्छे -अच्छे
चक्कर में
आ जाते
जरा सी बात से
घबरा जाते
कोसने लगतेः
कभी खुद को
और कभी
कई बहाने
बना जाते।
डॉ किरण बाला
जब कभी मन में उलझन
सी आ जाती
तो कुछ ऐसा होता
की खुद पर
खुदा की
मेहरबानी
नज़र आती।
तब यकीन होता
हम ना बेचारे है।
हम तो
बहुत ख़ास है
और
ईश्वर के बहुत
पास है।
यह जिंदगी तो
तमाशा सा है
किरदारों की फितरत
इशारों का खेल
कर देता है
हर किसी को फ़ैल।
अच्छे -अच्छे
चक्कर में
आ जाते
जरा सी बात से
घबरा जाते
कोसने लगतेः
कभी खुद को
और कभी
कई बहाने
बना जाते।
डॉ किरण बाला
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