गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

Happy Day!

New Year brings something new for everyone
It depends how you get it
It depends how you encash it
And the best is how you use it!

Hues and cries of days gone
Bring some richness with many thorns
Sweet smiling heart can win all ways
Bring everyone close to you
And say HAPPY DAY!

Dr Kiran Bala

बुधवार, 23 दिसंबर 2009

HERE TODAY AND GONE TOMORROW

life is happiness
And tomorrow
It is a mixture of joy and sorrow.

what you do
Matters not.

What you feel
Give some shots.

You are the same but life moves on
Bring some joy and sufferings more.


When time ripe, live with pride
here today and gone tomorrow.

Dr Kiran Bala

life

Life is a bridge
Pass over it
But build no house upon it!

Alone

Alone we stand
alone we live
Alone we take
Alone we give
Alone we come into this world
Alone our story unfurls

Alone in a crowd
Alone in solitude
Alone, truly alone
In all it's magnitude!

गुरुवार, 19 नवंबर 2009

बेबसी

बहुत सोचने वाले मन में

आज नही हे कोई विचार

बार बार दोहरा लेते हे

याद रहे जो अक्षर चार।

केसे हो तुम

कब आओगे

कब खाएय्गे खाना आज

इस के आगे नही बढेगी

बोल चाल की यह आवाज।

डॉ किरण बाला

ख्याल

वक्त मिलाता हे
जुदा करता हे
लेकिन याद रखना
यह सब खुदा करता हे।

बुधवार, 18 नवंबर 2009

रिक्त स्थान

जीवन के रिक्त स्थानों में

हम खो जाते हे।

कुछ खुशी के लम्हों के लिए

यु ही लुट जाते हे।

कही स्याही की रौनक

कही ल्फ्सो की हरकत

धर्कते दिलो को जोड़ कर

मुकमल बना जाते हे।

डॉ किरण बाला

सोमवार, 9 नवंबर 2009

यह ही जीवन हे

चलते चलते जीवन में
कुछ ऐसे पल भी आते
भूल चुके सब किसे मसले
आज याद आ जाते।

बेठे बेठे सोच सोच कर
मन फिर कुछ भर आता
कएय्सा किसने किया तभी था
याद आज आ जाता।

समझा लो तुम मन को कितना
फिर भी मन चंचल हे
उस की सोच बदल न सकते
यह ही तो जीवन हे।

डॉ किरण बाला

बात बीती हो गयी

चल रहे हे रास्ते
किस तरफ़ पता नही
जा रहे हम भीड़ में
कोई हम सफर नही।

खूब सूरत वादइयो में
गूंजती आवाज फिर
रोशनी की इक झलक
देखते हे हम इधर।

मंद सी मुस्कान आज
छू कर ओठ खो गयी
छत्त पटाते हम यहाँ पर
बात बीती हो गयी।

डॉ किरण बाला

मंजिल

रात के अंधेरे में
मद्धम रौशनी की लोः
धर्कते दिल को क्या सिला देती हे।

कुछ अनकहे सवाल उठते हे
मासूम सी हरकतों के बीच
उम्मीद की किरण
वादों के काफिले लिए
दरवाजे तक पहुँच जाती हे
कर देती हे मजबूर हमें
नेयेती के संग चले जाने को।

दिल की गहराएयो को छू कर
भीनी सी खुशबू सुकून देती हे।
हम भीगी पलकों के सहारे
कुछ -कुछ सोचते हुए
चुपचाप मंजिल की ओर चल देते हे।

डॉ किरण बाला

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009

बीते पल फिर याद आए

मुस्कुराहटो को जब याद किया

मन की शिकन दूर हुयी

चेहरा खिल सा गया।



खिल खिलखिलती मस्तीयो में,

चहकती पंक्तियो में,

बहुत से चेहरे मुस्कुराए

कुछ बाते करते- करते

बीते पल फिर याद आए।



डॉ किरण बाला

कड़वा सच

कोई मंजिल तुमारा किनारा नही हे


जो मिल जाता हे


वो सहारा नही हे।


यह कह देना की दगा तुमने दी हे


बिना सोचे तीरों की पीडा तुमने दी हे


यह बात कुछ हद तक ग़लत भी नही हे।


लोग देखते हे वो


सुनते हे वो


जो उनकी समझ की


गहराएओ में बसा हे।


डॉ किरण बाला

सोमवार, 12 अक्टूबर 2009

बीता हुआ कल

ओठो की नरमी
सांसो की गरमी
जब दूरिया लाँघ कर
एक हो जाती हे
तो छंट जाती हे मायूसी की पर्छयी।

चंद फिक्रो ओ नज्म बना कर
खो सकते हे दूरिया सब कुछ भुला कर
तभी सरसरा कुछ रंग लायेगा
बीता हुआ कल फिर लौट आयेगा।
डॉ किरण बाला

शिथिलता से तुम उभरो

बहुत से लोग
बहुत सा शोर
लेकिन मन तुम्हारा कही और।

अजीब सा सन्नाटा हे।
उलझन हे बहुत,
कुछ न कहने की
पहचान से रूबरू होने की,
ललक हे बहुत।

लगता हे जीवन की
परच्चईया,
पीछे मुड कर हमें देख रही हे
आसपास की जिन्दादिली
कहती हे एक कहानी।

घूर- घूर कर उलाहना
दे जाती हे अपनी ज़ुबानी।

कही तो चलो
कुछ तो करो
गुजर रहा हे वक्त
shithilta se tum ubharo

डॉ किरण बाला

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2009

Gives big nod!

When you are lost
In the search of path
Goes around
and little found.

Don't believe in yourself
All pity--whom so ever you met!

Grows around a shadow of past
leaves you 'Sunk' at the level best

Wants to swim
but the limbs are frozen
Breathe so hard
And the depth just kills.

There is little hope for the last revive
Still wants 'peak'
And lots in stride.

Painful to think
that things don't move
It's hard to belive that hope has gone.

Believe it or not
But the truth stands tall.
Glares at you
And gives big Nod!

Dr Kiran bala

f

truth

Life is a song
with turbulent waves
Bring old memories
which never fades.

keep mind busy
Let it not stray
Think of the good
And pray everyday!

Dr Kiran bala

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009

wisdom of life

Life is like a book in volume three
The past
The present
And the yet to be.

The first we repent everyday
The second we live and lead the way
But the third and last of the volume three
Is locked from view---and lost the key!

Dr kiran bala

Love

love is blind
love is kind
love is essence
of mankind!

Baby when born
loves his mother
As he grows
loves little brother

When goes school
friends arrive
love of the teacher
And mankind

Reads books
And write love letters
Then arrive
the sweetheart ether!

Dr kiran bala

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009

पतझर

इस बाग़ में हे लग रहा

मुरझा गए हे फूल सब

खुशबु जो महक थी कभी

उकता गए हे आज सब।

दीवानगी होती कभी थी

आज सब खामोश हे।

बीते पलो के साथ भी

इंतजार आज तक।

डॉ किरण बाला

ह्दय शिकवो से हे भरा

वही तन गर्व था जिस पर

धोखा दे ही जाता हे

हमें आश्रित बना कर यु

गलानी सी कराता हे।

सभी ने फेर ली आंखे

न सुन सकते वो यह गाथा

न तन में जान हे ज्यादा

न मन में शान्ति का मंजर

ह्दय शिकवो से हे भरा

मगर एहसान हे ज्यादा।

डॉ किरण बाला

बुधवार, 30 सितंबर 2009

जीता रहे जो भी कही

सुस्ता रहे शमशान में

धुआ उठे बेजान से

हे मंजिले सबकी वही

जीता रहे जो भी कही।

डॉ किरण बाला

मंगलवार, 29 सितंबर 2009

मुड कर पीछे न देखा

यह दुनिया बेवफा


बेरहम दिल हे।


आज उसकी

कल इसकी

इसकी न कोई मंजिल हे।

जिसके तन में हे ताकत

उसने इसको हे जीता

बाकी सब को हरा कर

मुड कर पीछे न देखा।

डॉ किरण बाला

दुःख से होता दुःख

रोने से झड़ते आंसू

हंसने से गिरते फूल

इक तरफ़ खुशी हे

दूसरी और गम की धूल।

खुशी और गम

दोनों ही कम

हमें करना न इस से कुछ

खुशी अगर मिले न

दुःख से होता दुःख।

डॉ किरण बाला

रविवार, 27 सितंबर 2009

ऐसे ही बीतेगी यह जिंदगानी

मन में तरंगो का महल बनाना

तरंगो का यु ही बिखर, बिखर जाना

रह जो गया वो , मन तो नही हे

यही सोचने का द्दंग तो नही हे।

दिल चाहता हे दिल को निकाले

उसे अपने सन्मुख फिजा से बिठा ले

करले कुछ बातें बीती पुरानी

ऐसे ही बीतेगी यह जिंदगानी

डॉ किरण बाला

शनिवार, 26 सितंबर 2009

बेजान सी हे हर गली

न था बुरा इन्सान कोई
न कोई शिकवा गिला
जो चल रहा हे आज तक
वो कल भी रस्ते में मिला।


हे मंजिले सबकी वही
जीता रहे जो भी कही
चारो तरफ़ ही धुंद हे
बेजान सी हे हर गली।


डॉ किरण बाला

दर्द ही दे जाएगा

मायुसीओ के समंदर
तुम भी तो तेराक थे
न जानते गहराई को
उस किनारे चुप खड़े .

वो याद हे जो था कभी कल
फिर भी कल तो आयेगा
बीतने वाला हरेक पल
दर्द ही दे जाएगा .

डॉ किरण बाला

बुधवार, 23 सितंबर 2009

आखिर कर इक सार मिला

बहुत मजबूर हे सब लोग
वो क्या मदद करेगे
मुश्किल बहुत हे जीना
यु ही गुजर करेगे


आंखे फेरी अपनों ने
बातों का ही जाल मिला
भूल भुलायेया इस जीवन की
आखिर कर इक सार मिला .

डॉ किरण बाला

वो मिट सके नही

लाये नही कुछ साथ थे
ले जायेगे न कुछ
खुशीयों को रहे धुन्द्ते
अब आज गए थक

जो मिल सकेगा तुमको
वो लिख दिया कही
कितना भी जोर ढाल लो
वो मिट सके नही

डॉ किरण बाला

मिलती नही फिर कभी

आँखों में सपने सुंदर बहुत हे

जाना हे दूर

पथ बस विकट हे।

कभी वक्त को थे कोसते

कभी बात अपने तक रही

थी वो घड़ी जो बीतती

मिलती नही फिर

डॉ किरण बाला

कौन दिन न हम रहे

अंत कब हे आ रहा

कौन आज जानता।

जीव की हे कल्पना

वक्त ही पहचानता।

आज हम हे जी रहे

कल की कुछ ख़बर नही

गिर रहे हे काफिले

कौन दिन न हम रहे।

डॉ किरण बाला

मंगलवार, 22 सितंबर 2009

जो बीतता वो खो दिया

पगडंडियो में घूमते

हम रास्ते थे दूंदते

कितना सफर मिलना अभी

न सोचते

न बोलते।

चलते रहे-चलते रहे

बस यह हमारा अशर हे

रुक गया वो खो गया

यह बात बिल्कुल सच हे।

न सोचना की यह किया

बस कर दिया-बस कर दिया।

इस सोच में थे खो गए

जो बीतता वो खो दिया।

डॉ किरण बाला

परमेश्वर से दो बातें

हे परमेश्वर
सदा तुम्हारा ही
होता मन भाया।

मेने वही किया हे
मुझसे जो तुमने करवाया।

तुमने माली मुझे बना कर
भेजा इस उपवन में
में तो बरसा बादल बन कर
उपवन के कण कण में।

डॉ किरण बाला

वक्त गुजर गया

मुश्किलों के रास्ते

संगीन होते जा रहे

खो गए हम भूल कर सब

दूंद नही प् रहे।

बंदिशों का सिलसिला

यु शुरू हुआ

राह न मिली

वक्त गुजर गया।

डॉ किरण बाला

बीती कहानी कह ही दी

हम आज हे कल न रहे


बस बात ही तो बात थी


ऐसी कहानी हर तरफ़


हर युग में बीते साथ थी।



यह भूमिका जो मिल गयी


हमको निभानी हे पड़ी


कभी सोच कर, kabhee ponch kar


beetee kahani


keh hee dee।



dr Kiran bala

वक्त बस रुक गया

चाह कर भी पग उठाया नही

गबरा रहे बहुत

कुछ पाया नही।

चल रहा हर कोई

खवाबो को दूंदता

हम तो सोचते रहे

वक्त बस रुक गया।

डॉ किरण बाला

उसको तो इक दिन जाना हे

सुंदर हे मन

उज्वल हे तन

चिंता का कोई

बहाना न।

काया जो मिली

इश्वर की बनी

उसको तो इक दिन

जाना हे।

डॉ किरण बाला

रविवार, 20 सितंबर 2009

अपना ही अफसाना हे

मतलब हे ख़ुद से
ख़ुद का
ख़ुद से रहेगा।

जिन्दगी बीत जाने पर
कुछ न बचेगा।

यह चंद दिन का आशिआना हे
यहाँ आकर
सभी को जाना हे।

करो अच्छा
या फिर बुरा
दोनों का
अपना ही अफसाना हे।

डॉ किरण बाला

नामुमकिन नही

कुछ पा लेना
मुश्किल तो हे।

नामुमकिन न
banane दो।

जहाँ आज तक
पहुँच गए हो
आगे जाने की सोचो।


जीत तुम्हारी इक दिन होगी
तब तुम खुश हो जायोगे
भूल सकोगे बीती बातें
विजय वीर कहलओय्गे .

डॉ किरण बाला


शनिवार, 19 सितंबर 2009

कभी आंसू बहा लेते

'कभी आंसू बहा लेते'

स्वपन लेते ही रहते हम
न पूरे वो सदा होते
अधुरा छोड़ कर हमको
इक दिन दगा देते।

हमारे मन में रहता हे
की हम भी तो मगर कुछ हे
इनी बातों के सायं में
कभी आंसू बहा लेते।

डॉ किरण बाला

गर्व का अंकुर

'गर्व का अंकुर'

पतन होने से पहले,

गर्व का अंकुर उपजता हे।

न जिसका हे पता चलता

यह ऐसा काम बनता हे।

यही अंकुर का अब तक

बन चुका इक फूल सा मन में

himaakat ke taraju में

wo humko hee kuchalta he.

डॉ किरण बाला

खयालो की दुनिया मुश्किल मुकाम!

'खयालो की दुनिया मुश्किल मुकाम!'

जिंदगी में हम लड़खडाने lagee
चल रहे थे साथ
अब घबराने लगे।

वक्त यु ही गुजरता गया
लगता हे जैसे सब रुक गया।

किस्मत का पन्ना पलटता नही
सोचा हुआ काम बनता नही।
खयालो की दुनिया मुश्किल मुकाम।

डॉ किरण बाला

शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

अभी सोच कर लो तुम भी

'अभी सोच कर लो तुम भी'

बदल सको गर इस दुनिया को
तो raaja kehlaaoge
सब की सुन कर
apnee कर के
आगे आगे जायोगे।

केवल सोचो ओरो की ही
तो पीछे रह जायोगे
जीवन की इस भाग दोड़ में
बेवकूफ कहलाओगे

दिल की बातें
कोई न समझे
सब कोई बेगाना हे।

जीवन तो शतरंज बाज हे
जीत हार का गाना हे।

इतनी तेजी से सब बदले
भाग दोड़ कर लो तुम भी
नही तो हाथ मलोगे पीछे
अभी सोच कर लो तुम भी!

डॉ किरण बाला

बेफिक्रे

'बेफिक्रे'

आने की न जल्दी

न थी जाने की जल्दी।

बीते हुए पलो को

भुलाने की न जल्दी।

डॉ किरण बाला

दिल की आवाज

'दिल की आवाज'

कुछ बातें ऐसी होती,
जिनका मिलता नही जवाब।

बहुत सोच कर और समझ कर
अपने को पाते लाचार।

तभी कही से आ जाती
दिल के रस्ते वो आवाज।

जो कर देती
धीरे से
बिगडा हुआ हमारा काम।

डॉ किरण बाला

हम कहाँ और दिल कहाँ

'हम कहाँ और दिल कहाँ'

बहुत छोटी बात थी
न सुबह, न रात थी।

दर्द की भीनी चुभन
बस हमारे पास थी।

रोशनी को दूर देखा
धुंद का था कुछ चलन।

कुछ समझ न आ रहा था
हम कहाँ और दिल कहाँ।

डॉ किरण बाला

माया जाल

'माया जाल'

जनम कई लिए हमने
मन तो वोही पुराना हे।

इस चोले से उस चोले तक
चलते हमने जाना हे।

इसी बात को याद जो करते
माया के न जाल फंसे
इस दुनिया में रहते रहते
फिर भी उसको याद करे।

करम काल हे मुश्किल इतना
फल की इच्छा प्रबल रहे
कितना भी चाहो न फँसना
फिर भी बंधन साथ रहे।

डॉ किरण बाला

नयी राहे

'नयी राहे'

नयी राह पर पग रखते ही
मिली निराशा भारी
दिल की धरकन रुक सी गयी
जब पाई लाचारी।

अपने को तो समझे हम थे
माहिर बहुत पुराने
सब से आगे आगे रह कर
बने थे बहुत सयाने।

कौन कहा दे जाए धोखा
किस किस को पहचाने
हर पग रखने में डरते हे
दुनिया को न जाने।

इसी समय यह हालत अपनी
क्यो कैसे सुधरेगी
पता नही कल कैसा होगा
कैसे बात बनेगी।

डॉ किरण बाला

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

कुछ करने को मन आया

' कुछ करने को मन आया'

देख उड़ान पंक्षी की

हमें होंसला कुछ आया

नीरसता ने छोड़ा साथ

कुछ करने को मन आया।

डॉ किरण बाला

जिसका हिसाब नही

'जिसका हिसाब नही'

दुश्मन करे दुश्मनी

तो क्या हुआ

टूट जाता हे दिल

जब अपनों ने

दगा दिया।

वक्त तो किसी का

मोहताज नही

बीतेगा हर पल

जिसका हिसाब नही।

डॉ किरण बाला

रेतिरेमेंट

'रेतिरेमेंट'

दशक चार तक

सेवा रत थे

तन और मन से काम किया

कभी न सोचा कल क्या होगा

यु ख़ुद को नाकाम किया।

आज कमर कस शुरू हो जाओ

कल की बात पुरानी हे

आगे भी म्हणत करनी हे

यह दुनिया आणि जानी हे।

डॉ किरण बाला

वही अब कर लो

'वही अब कर लो'

चलते चलते उसी राह पर

उबा मन।

करते करते वही हरेक दिन

टुटा तन।

सहसा ऐसा लगा

राह को बदले हम

अब तक जो करते आए

कुछ समझे हम।

दिशा हीन से

बदली राहे अच्छी हे

जो भाये इस मन को

वही अब कर लो।

डॉ किरण बाला

बुधवार, 16 सितंबर 2009

कामयाबी पर तुम्हारा नाम हे

'कामयाबी पर तुम्हारा नाम हे'

वक्त करने को तुम्हारे पास हे
रोशनी का भी अभी आभास हे
कर बुलंदी होंस्लो को पार कर
कामयाबी पर तुम्हारा नाम हे।

डॉ किरण बाला

क्यो खो गए

'क्यो खो गए'

हम रहे किश्ती में बेठे देखते
दूसरे फूलो को साथ ले गए
हे तमाशा हो रहा हर और अब
आज हम कल के लिए
क्यो खो गए।
डॉ किरण बाला

मंगलवार, 15 सितंबर 2009

जो मिला एहसान तब

'जो मिला एहसान तब '

आज तक पढ़ते रहे
जो पुस्तकों को कर सलाम
सोचते न हे कभी भी
मिल सका क्यों यह मुकाम।

दूसरो ने आज तक
दी हमें कुछ रोशनी
क्यो न हम अब यु चुकाए
जो मिला एहसान तब।

डॉ किरण बाला

हिदायत

'हिदायत'

जीवन इक जलता चिराग हे

बुझने को हरदम बेताब हे

छोटे छोटे गम को भूलो

खुशी-खुशी हर पल को जी लों।

डॉ किरण बाला

न लाचारी न बीमारी

'न लाचारी न बीमारी '

प्यारे अपने छोटे बच्चे
सबको अच्छे लगते
दिल करता हे चूम ले उनको
बहुत ही प्यारे लगते ।

मुश्किल कितनी भी सह लेते
उन पर आंच न आने देते .

लेकिन इसका मतलब यह न
वो भी करेगे तुम को प्यार
क्षीण हुई इस काया का
कभी करेगे वो भी ख़याल ।

शक्ती का जब संग न होगा
प्यार भरी इस दुनिया में
क्या वो तुमको दे पायेगे
जो सब तुमने उनको दिया

इसी लिए कहते हे हम सब
छोटा जीवन चलती काया ।

भूले बिसरे कल के फिकरे
न लाचारी न बीमारी .

डॉ किरण बाला

समझो और पार पायो

'समझो और पार पायो'

dunea हे खेल ऐसा
समझो तो पार पायो
गर न मिला हे कुछ भी
तो भूल भूल जायो।


duniya नही तमाशा
जिसका मजा उठाओ
यह हे नही जुआ भी
जिसमे कही लुटाओ।
यह हे नही कलि
जिसको फूल बनाओ।

यह तो हे इक खुदगर्जी
समझ बूझ कर अपनाओ
duniya हे बहुरुपीआ
जिसको समझो और पार पायो।

डॉ किरण बाला

दूरियों से दूर क्यो

'दूरियों से दूर क्यो'

गिर रहे हे फूल सब
अब कही से टूट कर
देख लेते हे सभी को
आंसुओ को लूट कर।

कुछ नही हे पास तो भी
हे कही 'गरूर' तो
फान्सलो को पार करके
दूरीयो से दूर क्यो .

डॉ किरण बाला

आज का ख्याल

'आज का ख्याल'

पतझर आती देख कर
बदल समय के साथ
नही तो मिलता तुमेह
हर दम वक्त उदास !

डॉ किरण बाला

बुधवार, 9 सितंबर 2009

PASS IT ON!

PASS IT ON!

Troubled mind
wounded soul
sitting alone in deserted Mall.

comes a friend to talk alive
Give some help
and brings smile

Realize then
what a friend is all
Takes you shore
When the LIFE IS BORE!

It is the time
to pass it on
help someone
who deserves the call!

Dr Kiran Bala

JUST FORGET!

JUST FORGET!

It is new life
not the same
When you retire
donot lose the way

Think positive
and move ahead
live in the present
and forget the rest!

Dr Kiran Bala

मंगलवार, 8 सितंबर 2009

यही व्यथा हे! यही व्यथा हे!

यही व्यथा हे! यही व्यथा हे!

सबसे बड़ी बात दुनिया में
व्यस्त रहो तो मौज करो।

खाली वक्त बिताने को
दुआ करो तुम न तरसो।

शून्य शहद की बूँद सा लगता
कुछ करने को मन हे करता
लेकिन सब कुछ
दूर पड़ा हे।
यही व्यथा हे, yahi vyatha he।

dr Kiran bala

खुशियो भरी यह हो अपनी कहानी

'खुशीयो bharee yeh ho apnee kahaanee '

इश्वर जब दूसरी दुनिया बनाओ
धरती से बेकारी, बीमारी उडाओ।

खुश कर दो
हर इंसान की जिंदगी को
और दुःख दर्द का
नामोनिशान मिटाओ।

न हो जीवन भर
अस्पतालों के चक्कर
न ही मिलेगे
बुदापे के थ्पद।

धोद्दे से दिन की रहे जिंदगानी
खुशियो भरी यह हो अपनी कहानी।

डॉ किरण बाला

सोमवार, 7 सितंबर 2009

चुप चाप

चुप चाप



रात के अंधेरे में

मद्धम रौशनी की लो

धड़कते दिल को

क्या सिला देती हे।



कुछ अनकहे सवालो को

मासूम सी हरकतों से

दिल की गह्रैओ को छू कर

पन्हा देती हे।



हम चुप चाप

चल देते हे

मुकाम की और

भीगी पलकों के सहारे।



डॉ किरण बाला

यह ही तो जीवन हे

'यह ही तो जीवन हे'

चलते चलते जीवन में
कुछ एइसे पल भी आते
भूल चुके सब किस्से मसले
आज याद आ जाते।

बेठे बेठे सोच सोच कर
मन फिर कुछ ghabrata
kaisa kisne kiya tabhee tha
yaad aj aa jata.

lakh samaj lo ya samjha lo
phir bhee man chanchal he
uskee soch badal na sakte
yeh hee to jeevan he.

Dr Kiran bala

दो रास्ते

'दो रास्ते'

दो राहों पर खड़े हुय
हम सोचे किधर जाए

अपने प्यारे सपनो को
कैसे सफल बनाये

अकस्मात कोई आकर हमको
थोरा राह देखाए
मुश्किल को आसान बना कर
हमसे हाथ मिलाये।

डॉ किरण बाला

यह लोग

'यह लोग'

चलते नही अगर
चला देते हे लोग

झुकते नही अगर
झुका देते हे लोग

गर ख़ुद खुदाई का
इरादा नही रखते
कुछ न कुछ करके
दिखा देते हे लोग

कोई क्या कहेगा
यह सोचते रहे हम
तो प्रगति का रास्ता
भुला देते हे लोग।

डॉ किरण बाला

ढोंगी

'ढोंगी'

धर्म का ढोंग
करते यह लोग।

मन kee स्याही को छुपा कर
बनते सफ़ेद पोश।

कलयुग में हे
इनका बोल बाला

भोले भाले लोगो को
दिखाते रूप निराला।

इतना vebhav और धन हे इनके पास
अच्छे अच्छो का करते मन निराश।

डॉ किरण बाला

रोने से झरते आंसू

रोने से झर्रते आंसू
हंसने से झर्रते फूल ।
एक तरफ़ खुशी हे
दूसरी तरफ़ गम की धूल।

डॉ किरण बाला

रविवार, 6 सितंबर 2009

AFTER A FIGHT!

'AFTER A FIGHT'

Fights never stopped
Hearts never broke
Thousands of arguments peep
Still love is not bleak!

Dr Kiran bala

smile

'Smile'

Fat tummy
crooked nose
showing emotions
teeth closed.
Smile a while!

Dr kiran bala

कल की और

'कल की और '

ढूंढ रहे हे हम उसको
जो पता नही खो गया कही।

यादों की भीनी खुशबु
आज यहाँ कब आ जाए।

सोच रहे हे कैसे चलना
मंजिलं को पाने की और।

भूले बिसरे मन के मोती
संभल गए अब कल की और

डॉ किरण बाला

SCRIPT OF LIFE

'SCRIPT OF LIFE'

Script of life
is covered with glare.
bring some joy with
love and care.


Little move forward
dream a while
feel uneasy
when life does not smile.


everything is beautiful
all around
need some solitude
love not found!

We come together
and feel each other
make some stories
and just wither!

Dr Kiran Bala

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

DEVIL IS RULING AND GETTING ALL PRIDE!

'DEVIL IS RULING AND GETTING ALL PRIDE'

There is hatred all around
MIGHT is ruling, poor spellbound!

There is the game of HATE! HATE! HATE!
No one can live, and sleep till late.

World is divided between East and West
OSAMA is at large and OBAMA has a bet!

Who will win, time decides
Will of GOD will bring the right!

Poor will die, and die everyday
many will be made to live in DECAY.

Wisdom of peace is not around
hand full of 'wise men' are not found.

'Voices of people' is magnified
Misery of poor is all denied.

LOVE and hope, is leaving the mind
Devil is ruling and getting all pride!

Dr Kiran Bala

live the life which went away

'live the life which went away'

Look at the baby
as he plays.
Love you all
in a cheerful way.

You are tired
But he stimulates.
Bring some life
in a withered day.

Ignite the flame of tommorow today
Make your time and body sway.

You are swinging and dancing with him
He is smiling in a witty way.


Thank God!
HE made new life
Gives you kiss and some pride!

Stands alone on his feet
Give you a run
And difficult breathe.

You grow young
while playing with kids
relax your nerves
and mind upswings!


Forget the aches and pains of bones
Brighten the sheen in the eyes alone

Fragrance of air brighten you today
things of past leave your day.

You get up fresh and young everyday
Live the life which went away.

Dr Kiran bala

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

Heart burn!

'Heart Burn'

"Mom you are wrong!"
came the voice.
Broke her heart
and gave pain lots.

No one is affected
everyone is quite!

Icy floor is slippery
And the child is right!

He has present
and you are now past.

Time will come
when things don't last.

Dwelled in the nest
of love and care
flew out fast
without despair.

Mom and pop
have inquistive eyes
want kids back home
with all pride.

But that is not how
life take it's turns
There is 'unique hue'
And 'Heart burn!'

Dr Kiran Bala

TOW ME AWAY

'TOW ME AWAY'

Sitting alone
one oldman there,
looks around
and feels very scared!

A car is parked
few feet away,
enjoying the cold breeze
his own way.

He is old,
but dressed well in a suit and tie.
Hair well combed
And shoes are just right.

Dark glasses are
hiding the glaring eyes.
Enjoying the looks of passer's by.

Sounds of vehicles
are breaking the thoughts.
Life once gone,
has left burnt thorns.

He is feeling the pricks
still fresh.
Remembering his youth
and best of past.

Dimness of light,
and slack old nerves.
Make him jittery,
And full of dearth.

He feels helpless,
And withered Rose.
Wait for every one
smartness gone.

Here comes his son
with loads of stuff
Yells at dad!
And tell hard words.

Why are you sitting
outside dad?
Someone would have towed the car.
(the car was parked in no parking zone)

Old man became alert
seathed with excitement.
oblivious of the surroundings, he said
Oh! Son it was hot so I sat outside

My old body is not able to take care of myself
then how about the car.
Praying to God he said, "Please tow me away to heaven! I will be happy!"

Dr Kiran Bala

बुधवार, 2 सितंबर 2009

अभी बाकी हे

'अभी बाकी हे'

यु तो हम कुछ भी नही
लेकिन करने की
कसक अभी बाकि हे।

मंजिलो को छूना
मुमकिन नही
हौंसलों की ताकत बाकी हे।

'तकदीर' और 'तासीर ' की
पहेलियों से परे
'वजूद' की ताकत
बाकी हे .

आज हसरत के किनारे
बसेरा हुआ .
आशा की किरण
अभी बाकी हे .
डॉ किरण बाला

साथ-साथ चलते रहे

'साथ -साथ चलते रहे'

दिल की बातों ने
खंजर सा जहर क्या दिया
लहुलुहान हुए
दर्द पी लिया ।

आंख से आंसू
उमड़ते चले
खयालो की गरमाई ने सुकून दिया।

डगमगाते कदमो की आहट पाकर
मन को यु ही काबू कर लिया।

सिरकटे रिश्ते जब मिले
नाजुक हाथो में थाम लिया

भुल्भुलायेओ के सुहाने सफर में
निकले जो थे
न वो मिले
न हुम झुके
साथ -साथ चलते रहे।
डॉ किरण बाला

Till we are chasing

'Till we are chasing!'

We are defeated
till we chase.
We are in pain
and all in vain!

Things run far away,
out of sight.
Bring desire
But no gain.


You admire
you admit.
You are the same
It's just a mind game.

Dr Kiran Bala

इंसान केवल ४० वर्ष तक जीए तो कैसा होए!

'इंसान केवल ४० वर्ष तक जीए तो कैसा होय '

शायद सास -बहु की लड़ैया न होती
न होता घुटनों को बदलवाने का ऑपरेशन
न होती टेंशन बाल काले करने की।

दातों के डॉक्टर के जबड़े न बिकते
प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत कम होती
न बिकते बहुत हेअरिंग ऐड्स।

केमिस्ट की दुकानों में
टोनिक कम दीखते
न होती ज्यादा वाकर और स्तिच्क्स की सेल।

कही बच्चो को कहानिया सुनाने वाली नानी न होती
न होते प्यार करने वाले दादा -दादी।

जरा सोचो शादियो की बारात में कोई वाकर के सहारे न चलता
और पैर छू -छू कर आशीर्वाद लेने का सिलसिला भी कुछ ढलता।

कोई चिरंजीव होने की दुआ न देता।
और बुदापे के झंझटो से किनारा हो जाता।

माबाप बुडे होने के दर्द से बच जाते।
और बेरहम बच्चो के चर्चे कम होते।
यह जीवन कितना सुंदर होता!
हम सब जवान होते और बेरहम बुदापे से न खफा होते।
डॉ किरण बाला

सोमवार, 31 अगस्त 2009

कल क्या हुआ

'कल क्या हुआ '

कल क्या हुआ
उस का हिसाब नही
आने वाले पलो का
जवाब नही।

जो आज हो रहा हे
उसे समझ न सके
कुछ पा लेने का इंतजार नही।

बुलंद सपनो के
बीच गुजर करे
कैसे करे बसर
कुछ मुख्त्यार नही।


डॉ किरण बाला

रविवार, 30 अगस्त 2009

मिलते नही किनारे

'मिलते नही किनारे'

आग बनी सावन की बरखा
फूल बने अंगारे
गलिया सूनी कुञ्ज उदास
चुप -चुप हे दीवारे ।

नागिन बन गयी
रात सुहानी
विश से बुझ गए तारे
दर्द भरी इस दुनिया में
मिलते नही किनारे ।

डॉ किरण बाला

OF THE OLD BLISS!

"OF THE OLD BLISS!"

Man and wife starts life,

children come and bring delight.

Years pass, keeping busy

how time flies, not so easy!

There are UPS

and many DOWNs!

Bring together people around!

Social gatherings

night out dinners

Celebrate festivals throughout the year!

Suddenly oneday last child--leaves home

Man looks at woman

And woman CRIES alone!

There is no hustle-bustle

in the house

only some letters are seldom found!

Now they remember how children lived

Their belongings remind them of the OLD BLISS!

Dr Kiran Bala

शनिवार, 29 अगस्त 2009

बुडापा आ गया 18

बुडापा आ गया


बुडापा चीज़ हे ऐसी
जिसे कोई भी न चाहे
मगर वो आ ही जाता हे।


वो मेहमान हे यहाँ एइसा
बुलाय बिन जो आ जाता
हमें बेठे बिठाये वेह
बहुत आश्रित बना जाता।


जिस तन पर गर्व था हमको
सजाया जिस को करते थे
बहुत सुंदर सलोने वस्त्रे
और्राया उसको करते थे
मगर शिकवा गिला कैसा
यहाँ तो सब खिलाड़ी हे
जो जीता कल तक करते थे
उन्हों ने बाजी हारी हे।

कही बेटा हो या बेटी
या फिर हो बहिन या भाई
सभी ने फेर ली आंखे
अब तो देते रहो दुहाई।

जीवन का एइसा अंत
आखिर सब पर आना हे
यह दुनिया हे नही अपनी
यहाँ से कल तो जाना हे.

डॉ किरण बाला

नए घर का निर्माण 45

naye ghar ka nirmaan

ghar jab apna banne lagta
sab kuch lagta pyara sa
uchee uchee ashyo ka
lagta ek kinara sa

soch rahe he hum bethe kee
kaise kam karyege
saari mansha poori karke
sunder mahal baneyge

dawat ka phir nyota dekar
havan kund sjayege
agnee dev kee pooja hogi
ayge bahut jajman

kathenayee badtee he gayee
jaise-jaise beete din
yeh tuta or wo tuta
lagi kahi deemak aur ghuun

kabhee palumber
kabhee mistree
kabhee mehree kee baree he
paise unko dete jayo
yeh to ek beemari he
mehmanoo ka tanta lamba
kahan kahan se ate he
bina baat ke
jeevan ko we
ast wyst kar jate he

dr kiran bala

कवि की कविता साथी प्यारा 46

kavi kee kavita saathee pyaara

sathee na koy jab
kalam banee sahara
khud chal padi lachak se
dekhaati rahi najaara.

wo to bani thee darpan
dhundhale se man kee chhya
dil kee dabi chubhaan ko
syhi ka rang aya.

sunder sa geet janma
man me umang lekar
wo de gaya khushi tab
dukh kee ghata chhati ab

hum the khade akele
itne bade jahaan me
wo ban gayee sahaara
pyara saa meet ban kar

dr kiran bala

कविता का जनम 47

'kavita ka janam'

Kavi ka man jab rota he
to jakhmo se
lahoo kee jageh
panktiyo kee lehar beh jaati he.

ek ke baad ek kora kagaj
syehi kee audnee aude
chamakne lagta he

man ke merusthal se nikalti he
ek sureelee dastan
jo koy behaal, khushhaal
jeevan kee parto me keh deti he
ankahi kahaani
tab janam leti he
ek adhkhili kali jaise sunder kavita
jo kabhee na kabhee to khil he jayegi

Dr Kiran bala

आज के नेता 49

aj ke neta

sab ke jubaan par ek baat he.
aj har neta be lagaam he

dalbadal kee daldal me sab phanse huy
girgit ko bhee, aj maat de rahe

karte he har din, gadbad ghutale
rishwat ko lekar bante he lale.

khush ho kar kehte he
hum nirdosh he
phir dekho, mauj masti me madhosh he.

har koy laga he, paise kamane.
pata nahi kis din kurse gavale
na vaibhav na ijat na masti rahegi
tab to unko gidgidana parega
janta kee adalat me aanaa padega.

dr kiran bala

अंतर- आत्मा की आवाज मनुष्य के लिए 50

anter -atma kee awaj manushy ke liye


shabdo ke sangram me
haar huy ya jeet
kuch bhee hath na ayega
santapit man meet.

har dum ek hee chah he
humko mile khitab
achha bura jo bhee kiya
uska nahi hisab.

man kee ichha mar ke
sehaj hot sab kam
chalta phirta jo mile
usy milaye ram

pashuta ko ab chhor kar
man me dheerj dhaar.
jaisa taisa jo mile
us se kare gujaar
patang kati ko dekh lo
girte jakar door

Dori ka pata nahi
kyo koi kare gurrur.
aj mile jo soch le
kal milega kaal
sang jayega kuch nahi
vyarth rahe behaal.

dr Kiran Bala

श्मशान से मृत्यु के बाद 54

'श्मशान से मृत्यु के बाद'

इस बाग़ में हे लग रहा
मुरझा गए हे फूल सब।
खुशबू जो महक थी कभी,
उकता गए हे आज सब।

पेशान सा हे सिलसिला
चारो तरफ़ ही धुंद हे
na rasta milta kahee
bejaan se he har gali.

mauseo ke he samander,
kuch yaha terak the.
parchhea he reh gayee
bejaan wo bekhaab the.

wo yaad he jo thaa kabhee kal
kal to phir bhee ayega
beetne wala harek pal
dard he de jayega.
dr kiran bala

कतार में खड़े 55

'कतार में खड़े '

चल रहे हे
सब कतारों में खड़े
कौन पीछे
कौन आगे न ख़बर।

किस तरफ़ हे जा रही यह भीड़ अब
दिल की धड़कन तेज थी
अब कम हुई।

रुक गया हे वक्त
लगता हे हमें
चलते चलते रौशनी मद्धम हुई।

गिर रहे हे
काफिले
मंजर पे अब
आस में बेठी
उमीदे
कम हुई ।

डॉ किरण बाला

तो क्या समझे 56

'तो क्या समझे'

बीच बेठे भीर में हे रो रहे
बात कर न सके
तो क्या समझे।

असीम दुनिया के दरिया में खो रहे
उभर न सके
तो क्या समझे।

जब कभी दर्दे दिल की बात
अपनों से न कह सके
तो क्या समझे

डॉ किरण बाला

तरंगे 57

'तरंगे '

मन में तरंगो का महल बनाना।
तरंगो का यु हे बिखर बिखर जाना।
रह जो गया वो, man to nahi he
yahi sochne ka dhang to nahi he

dil chaheta he dil ko nikale
ise apne sanmukh fisa se betha le
kar le kuch bate, beetee puranee
kaise thee beetee yeh jindgani.

dr kiran bala

अपने आप को समझाते हुय 62

'अपने आप को समझाते हुय'

क्यो मुरझाये पुष्प की तरेह,
समय बिताते हो।

जो भी अच्छा नही हुआ
क्यो दिल को लगाते हो।

सोच समझ तो बहुत मिली हे
क्यो यु ही ghabrate हो।

jo bhee achha pas tumare
use bhulate ho.

chhoti chhoti andhi he
jo kal ud jayegi.

charo taraf ujala hoga,
khushbo mehkayegi.
dr kiran bala

शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

कल्पना की उड़ान 64

'कल्पना की उड़ान'



धरा को चुमते
नभ को निहारते

मन ही मन सोचते
हम यु ही कुछ खोजते।


आज हवाए कुछ और हे
जीवन की फिजाये कुछ और हे

रफ्ता -रफ्ता करते
कुछ कभी समझते

chnd lamho kee jhalak
samander me motio kee chamak

pratibimb chandrma ka
prakash sitaro ka

shikhir kee doori ko
pawan kee teji se

pal me ghta ke melo se
kuch hi kshan me pate

yeh sunder kalpana he
man ka sunehla sapna he

kab kabhee milta he
bas yahi dekhna he.

dr kiran bala

जीवन की सच्चाई 65

'जीवन की सच्चाई'

वक्त वक्त की बात हे
इक दिन सब का होय
यह तो चक्र अजीब हे
चलता एक ही और
चाहे कुछ भी सोच लो
बदले कभी न पोर
जब तक मीठा स्वाद हे
कड़वाहट हे दूर
सपनो में उलझे रहे
भूले पीड शरीर
हम लाये कुछ साथ न
न जाना कुछ साथ
संचित जो भी हे किया
उसका न संताप
करनी भरनी हे यहाँ
ध्यान करो जो काम
अच्छा बुरा जो जांचना
लेके प्रभु का नाम

डॉ किरण बाला

आत्म ग्लानी 66

'आत्म ग्लानी '



किसी समय हम, कुंठित मन से ।

पीड़ा ,किसी को, दे देते ।

लेकिन फिर जब, क्रोध शांत हुआ । । ।

तो pachhta कर रो देदेते।



आत्म ग्लानी बहुत बुरी हे।

मुड़कर देख रहे हे हम

याद आ रही, un baatho kee,

जो बीती थी पिछले पल।

डॉ किरण बाला

बसंती फूल 70

'बसंती फूल'

निर्जीव वस्तुओ के बीच,
लगे हे, कुछ फूलो के पोधे .

वो बड़ते हे धीरे धीरे।
एक दिन उनकी कोमल तह्नेयो में
लाद जाते हे बसंती फूल .
तब सब और महक
फूलो की
फेलती हे इस तरेह
जैसे जीवन में आती हे
खुशियो की बहार ।

डॉ किरण बाला

आश्रितों से व्यवहार 74

'आश्रितों से व्यवहार '

इश के बने इंसान को,
तुम प्यार करो बस प्यार करो ।

भूल हो गयी कोई उनसे
माफ़ करो और जाने दो ।

बहुत बड़ा दिल अपना रखो,
छोटी बातों में न उलझो।
यो न व्यर्थ गवाओ समय को,
माफ़ करो और जाने दो।

दूर सफर के हो तुम रही,
बहुत दूर तक jaana हे।
अर्जित कर लो साज -समग्री,
जीवन में कुछ पाना हे।

डॉ किरण बाला

पते की बात 75

'पते की बात '

धन अर्जित एइसा करो
कभी घटे न खोय।
kitnee भी आंधी उडे,
बल न बांका होय।

अच्छा करो व्यापार तुम
मन मैला न होय।
सोयो निद्रा चेन की,
कछु चिंता न होय ।

डॉ किरण बाला

भवसागर में 77

'भवसागर में'

भवसागर में
बिना नाव के,
कूद पड़े हम साहस से ।

क्या होगा,
कल पता नही हे,
सोच रहे अब सर धुन के ।

वक्त साथ रहता न सबके।
देखो कल ,
क्या होता हे ।
मिले सफलता का चेहरा,
या mausi का लेखा हे ।
डॉ किरण बाला

गुरुवार, 27 अगस्त 2009

बातें करो 35

'बातें करो'

दिल को दिल से जुडाने की
बातें करो।
फांसले कम कराने की
बातें करो।

आज इतना बुरा हाल, चारो तरफ़,
गम को कुछ तो मिटाने की
बातें करो।

रिश्ते नात्तो में, गरिमा हे बिल्कुल नही,
खून भी, shaayad, bin rang ka hone laga .

aaj kisko mile pyar se hum gale
door kaise kare, man ka yeh phansala .

dr kiran bala

सितारे 34

'सितारे'

अम्बर में चम- चम करते तारे,
मुझे तुमसा बनना हे।

तुमारी
ऊंचाई, chandni, chamkahut, apnakar,
tumare pad chinho par chalna he.

apne takat ka, karishma dikhao abhee,
hame bhee apna jaisa banakar
duniya kee nazro me chamkao abhee.
dr kiran bala

बदले पलों की इंतज़ार 29

'बदले पलों की इंतज़ार'

इंतज़ार उस पल का करते,
जब सब बदला -बदला हो।
कोई सुहाने सपनो का जब,
मिलने का अंदेशा हो।

अविचल मन के सागर में यू
स्वर के कंकर ध्वनि करे।
अब तक जो समतल रहता था,
उस को भी हम पर करे।

क्या सोचा हे तुमने आज,
निकल सकएगे कब तक पार।
सोची समझी इस दुनिया में,
मिलते हे हम सब को यार।

बदली -बदली raaho पर ,
hum kuch to samaj nahi paye.
duniya ke har insaan ko,
khush karne ko na aye.
dr kiran bala

बुधवार, 26 अगस्त 2009

निर्झर झरना और हम 28

'निर्झर झरना और हम '

निर्झर झरने की तरेह ,हम भी,
आवाज़ की दुनिया में रहते।

शोरोगुल रहता आस- पास,
दुनिया से बेखबर हम रहते।

जल का जो उजलापन देखा,
तन ,मन , धन ,उसका कर ही दिया।
आते जाते पाथेको को
सुन्दरता का उपहार दिया
आभास हुआ तब एइसा कुछ
ऊपर जाने वाला गिरता हे
नीचे तो सब को आना हे
यह आवागमन पुराना हे।

पानी की तेजी देख- देख
मन करता हे हम भी भागे
छोडे अब धीरे चलना हम
आगे जाने की सोचे।
डॉ किरण बाला

गुजरात में हिंदू मुस्लिम दंगो के बाद 17

'गुजरात में हिंदू मुस्लिम दंगो के बाद'

शांत नगर में थी खुशहाली,
चारो तरफ़ उजाला था।

मिल -जुल कर हर कोम वहाँ थी,
प्यार मेल का संगम था।
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई
आपस में थे भाई -भाई
लेकिन इक चिंगारी ने जब
भीषण आग लगाई।
पता चला न तभी किसी को,
किसने चाल चलायी।

वेर भावः की चली लडाई,
ghrena

मंगलवार, 25 अगस्त 2009

बुदापन इंसान का आखिरी पड़ाव 16

'बूढापन इंसान का आखिरी पड़ाव '

शुरू कभी कही से हो ,
आखिरी पड़ाव तो आना हे ।

यह जीवन हमने पाया जो ,
उस को तो इक दिन जाना हे ।

बचपन से जवानी के दिन तो
जल्दी -जल्दी बीत चले
यु आँख खुली तो क्या देखा
यह जीवन तो बेगाना हे ।

आखों में धुंधला पन छाया
काया की चमक भी दूर गयी।

दातों ने बहुत न संग दिया,
रातो की नींद भी गोल हुई ।

कभी यहाँ दर्द, कभी वहां दर्द
कभी सर दर्द का बहाना हे।
अब तो जीवन यु काट रहे,
कुछ दिन में यहाँ से जाना हे।

डॉ किरण बाला

दुर्घटना 33

'दुर्घटना '

हर दिन बड़ते हे वाहन
इस देश की सडको पर।
दुर्घटना भी होती खूब ,
देश की सडको पर .

कोई भी न पालन करता
ट्रैफिक के नियमो को आज
जहाँ मिला मौका जिसको
आगे जाने को बेताब।

कोई डरता नही यहाँ पर ,
वर्दी पहने लोगो से
खुले आम रिश्वत चलती हे
या फिर गुंडा गर्दी आज।


क्यो न हम कानून बना कर
लगातार, सब को समझा कर,
चालक की बदले कुछ आदत।

शायद यह छोटी सी बात
घटा सकेगी दुर्घटना से
होने वाली काली रात ।

डॉ किरण बाला

कुछ न मिलेगा 31

'कुछ न मिलेगा '

बिना स्वार्थ के,
कोई न अपना,
आज जगत में।

कितना भी चाहो,
तुम सोचो,
सोचते जायो,
कुछ न मिलेगा।

मतलब की इस दुनिया में,
तुम व्यर्थ के माली
सींचते जायो जग की बगीया,
कुछ न मिलेगा।

महक रहे फूलो की शोभा,
लगती प्यारी ,
देखते जायो,
कुछ न मिलेगा।

डॉ किरण बाला

रविवार, 23 अगस्त 2009

स्वपन की बात 30

'स्वपन की बात'
दूर तार की घंटी बजती,
दिल कुछ डरने लगता ।
सोच-सोच कर स्वपन raat का,
धक्-धक् करने लगता।

ho na ho, ab mila

शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

आज के बच्चे 52

"आज के बच्चे"

बच्चो को ममता का आँचल,
हर दम अच्छा लगता।

कब कुछ करना या न करना,
हमने माँ से ही सीखा था।

बदल गया हे आज समय,
जब माँ के बदले नेनी हे।

पैसो की तो कमी नही हे,
par dil ke veerani he.

tan par kapde bahut rashmi
ghar me pade khilone dher.

lekin man to he udas,
thodi see mamta kee pyas.
bhara ansuyo ka agar,
kaun dilay ma ka pyar.
Dr kiran bala

गुरुवार, 20 अगस्त 2009

मन करता हे 53

"मन करता हे"

मन करता हे
उड़ते-उड़ते
स्वर्ग पहुच जाऊ।

रोज-रोज के झंझट तन्तो
से छुटकारा पायु।


हर दिन एक तरह की बातें
करते-करते
उकता मन।


नया नवेला कुछ पाने को
उठती एक उमंग।


इतना पता नही हे हमको
कल क्या होने वाला हे।

फिर भी दिल का मीत बताये
ताला खुलने वाला हे।

डॉ किरण बाला

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

चुप रहना जरा मुश्किल हे

बोलते लोगो के बीच
"चुप रहना जरा मुश्किल हे "

चेह -चहाते मौहोले में
कुछ ना कहना जरा मुश्किल हे

जब सब कहते हे
अपनी-अपनी कहानी

तो दिल करता हे कहने को
बीती जिंदगानी

क्यो ना बोलने की दोड़ में
कुछ भी आगे बड़े

दिल में कुछ ना रख कर
जो मन में आए सबसे कहे।

डॉ किरण बाला

मंगलवार, 4 अगस्त 2009

याद जब आई

याद जब आई

जीवन की गहरैओ में
खो गया वो प्यार
जो कभी हमने किया था .

व्यर्थ की उलझनों में
बस गया ऊलास
जो कही खो गया था

उमंग के वो क्षण
झंजनाहत के सहारे
उलाहना दे रहे हे हमें

याद करते हे वो बात्तें
जो भूल चुकी हे

होठो की नरमी
सांसो की गर्मी
जब दुरिया लांग कर एक हो जाती हे
तो छंट जाती हे मायूसी की परझाई

चंद फिक्रो को नजम बना कर
लाँघ सकते हे दूरिया
सब कुछ भूला कर

तभी सरसरा कुछ रंग लायेगा
बीता हुआ कल फिर लौट आयेगा

किरण बाला

बेमिसाल

बेमिसाल

प्यार जो पा लेता है
उसे हर खुशी नही मिलती
यू तो ज़माने में हज़ार दुश्मन इस के
फिर भी जहा प्यार हुआ
उस की मिसाल मुश्किल है

किरण बाला







प्यार

प्यार

प्यार जब मिलता हे तो
देने को जी चाहता हे

प्यार जब होता हे
तो पाने को जी चाहता हे

प्यार वो वक्त की नजाकत हे
जो हर किसी को नही मिलती

किरण बाला

सोमवार, 3 अगस्त 2009

भाव

भाव

मुस्कुराते चहेरे के पीछे
क्या छिपा हे
तेरी बातों में क्या
गिला हे
जब खोलोगे जुबान
तोही पता लगेगा
यू तो सब ठीक ही लगता हे

किरण बाला

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

नकाब

नकाब पहने
बहुत दिन रहे
आज असली रूप सामने आ ही गया
आखों में नफरत
बातो में गफलत
सर में गुबार
ऊपर से प्यार
ममता की डोरी
कट हे गयी
किरण बाला

सोमवार, 27 जुलाई 2009

समय रुपी अष्व पर सवार 59

"समय रुपी अष्व पर सवार"

हम सवार अष्व पर
हवा के वेग सा चले।

कहाँ चला किधर मुड़ा
यह बात कुछ भी ना पता।

अंधेरे से हे रास्ते
तेज -तेज मुड रहे।

मंजिलो को ढूंढते
किधर मिले , कहा मिले।

डॉ किरण बाला

रविवार, 26 जुलाई 2009

बेबसी 58

"बेबसी"

बेबस क्यो इतने
हम हे बेचारे।

यू तो हे कहते
सब हे हमारे।

जब वक्त पड़ता
कोई ना अपना।

सारे जहाँ में
खड़े बेसहारे।

मुश्किल बहुत हे
मन को सुझाना
कौन हे अपना
या वोह बेगाना।

इतना समझकर भी
उलझा सा मन हे
एय्से लगे जैसे
जीवन बंधन हे।

डॉ किरण बाला

जीवन का सत्य 68

"जीवन का सत्य"

मतलब हे ख़ुद से,
ख़ुद का,
ख़ुद से ही रहेगा।

जिंदगानी बीत जाने पर,
कुछ ना बचेगा।

यह चंद दिन का आशियाना हे
यहाँ आकर सभी को जाना हे।

मिटने को यहाँ कुछ नही,
यहाँ तो ख़ुद ही मिट जाना हे।

बुलबुले ऐ मेरे मन,
संभल जा।

जलती चिंगारियों से निकल जा।

बीत जाने पर कुछ ना बचेगा,
यह सब मिथ्या सी झलक हे
सत्य से दूर रहने की महक हे।

उसी को पाने की , मन में किरण हे
मिल जाए वह, यही मेरा मन हे।

डॉ किरण बाला

बदली राहे 51

"बदली राहे"

एक राह पर चलते -चलते,
मोड़ सामने आया।

हमने कुछ घबरा कर,
पग पीछे सरकाया।

पता नही थी
यह लाचारी
या मजबूरी उस दिन
सोच -सोच कर , इसी बात को
मन अब कुछ मुरझाया।

डॉ किरण बाला

शनिवार, 25 जुलाई 2009

संघर्ष 48

"संघर्ष"

पेद्य्शे वक्त से इंसान
ऐसे जूझता रहता
कभी यहाँ , कभी वहाँ , खुशी को ढूँढता रहता

जब मिलता नही मुकाम
तो होता निराश।

छोड़ देता, कुछ करने की आस
भूल जाता कुछ क्षणों के लिए
की उसको आगे जाना हे
सब कुछ भूल कर , जीवन में कुछ पाना हे

बड़ी पेचीदा हे दुनिया
जिसमे हमको हे रहना
यहाँ आसान ना कुछ भी
हमें सब कुछ हे सहना

गमो को अमृतसम जानना होगा
आए जो सामने
उसे पहचानना होगा।

डॉ किरण बाला

दिल चाहता हे 44

"दिल चाहता हे

घरोंदा बनाने को
दिल चाहता हे।

अभी घर को जाने को
दिल चाहता हे।

बहुत दिन किया काम
लोगो का हमने
अपना कहाने को दिल चाहता हे।

डॉ किरण बाला

एहसास 43

"एहसास"

दुश्मन करे दुश्मनी
तो क्या हुआ।

टूट जाता हे दिल
जब अपनों ने दगा दिया।

वक्त तो किसी का मोहताज़ नही
बीतेगा हर पल जो तुझको मिला।

डॉ किरण बाला

गुजरा वक्त 42

"गुजरा वक्त"

वक्त तो यूं ही चलता रहेगा,
कल जो था आया,
वो आगे बडेगा।

कुछ रास्ते कट जब गए,
आँख खुली कुछ ना बचा।

खाली था हाथ,
कोई ना साथ,
मन था उदास,
प्यार की प्यास

बस अब बचा था
जीवन किनारा।

कोई ना पास
अपना सहारा।

ये तो कहानी
चलती रहेगी।

कुछ आ रहे हे
कुछ जा रहे हे
यह जिंदगानी चलती रहेगी।

डॉ किरण बाला

में क्या नही 40

"में क्या नही"

जब पूछा किसी ने
किसी से
तुम क्या हो ?

तो जवाब मिला -में कुछ भी नही

फिर आवाज़ आयी
क्या तुम औंस की बूँद भी नही
जो कर देती हे उजाला।

क्या तुम फूल की कली भी नही
जो खिलने का करती इंतजार।

क्या तुम हवा का झोंका भी नही
जो सुगन्धित जोश उड़ा रहा हे।

क्या तुम नदी का बहाव भी नही
जो पा जाता हे किनारा।

डॉ किरण बाला

बीते कल की सुंदर यादें 38

"बीते कल की सुंदर यादें"

कल की यादें,
इक परछाई,
साथ -साथ चलती हे।

जाए कितना दूर कही भी
पास -पास रहती हे।

समझ सके ना,
कल जो बीता,
सुंदर सपना वोह था।

फिर से मिल जाए वोह अपना
यह क्यो फिर सोचा था।

बीते पल की झलक मिली जब
हम तब भटक गए थे।

भूल गए थे बीती बातें
सपनो में खोये थे।

डॉ किरण बाला

ख़त का इंतज़ार 36

"ख़त का इंतज़ार"

जिस दिन ना कोई ख़त,
हमारे नाम आया।

दिल उदास हुआ,
कुछ निराश हुआ,
आस टूटी,
ख्वाबो का सिलसिला,
बे हिसाब आया।

सोचने लगे,
बहुत लोगो की बातें,
आज एक -एक करके
सब का ख्याल आया।

यूँ तो कहने को,
बहुत दोस्त नही,
लेकिन मन पसंदों पर भी
आज प्यार आया।

सुबह से टिकटिकी लगाकर
देख रहे,
दरवाजे की और,
शायद किसी ख़त का जवाब आया।

डॉ किरण बाला

भूल सके 27

"भूल सके"

ऐसा कुछ हे,
जो हम चाहे,
याद -याद कर,
भूल सके।

कुछ भी पा ले,
या समझा ले,
सोच -सोच कर भूल सके।

बहुत दूर तक निकल गए हम,
फिर भी यादें ताज़ी हे,
हर दिन सोचे,
फिर कुछ समझे,
हाय क्यो ना भूल सकें।

मित्र हमारे कई बने थे,
कई पार भी थे निकले,
फिर भी रह -रह कर हम सोचे,
क्यो ना सब कुछ भूल सके।

डॉ किरण बाला

नवविवाहित पति, पत्नी को क्या कहता हे 22

"नव विवाहाहित पति, पत्नी को क्या कहता हे"

बहुत सोच समझ कर,
मेने तुमको हे अपनाया।

अपनी , प्रेम भरी नादिया में,
हे तुमको सहलाया।

जो भी कुछ हे मेरा,
अर्पण किया तुम्ही को।

सब जग को में भूल गया,
और नित -चित किया मन को।

जैसा भी हूँ,
रहूँ तुम्हारा,
इच्छा ये करता हूँ।

प्यार भरे कुछ पल पाने को
दिल से कुछ कहता हूँ।

इश्वर के आगे,
तुम ही हो,
पूजा करू तुम्हारी।

बदले में जो कुछ मिल जाए
समझू वारी नयारी।

डॉ किरण बाला

बारी आयी 21

"बारी आयी"

सुनते-सुनते,
सुनाने की बारी आयी।

सुबह ढल गयी,
अब शाम आयी.

हम कभी भी,
यू ना थे झुकते,
अब झुकने-झुकाने की बारी आयी।

अब तो मुरझा गया हे यह बदन,
मरहम -पट्टी,
लगाने की बारी आयी।

चंद लम्हों की खुशी,
बाकी बची,
अब तो ऊपर जाने की बारी आयी।

डॉ किरण बाला

कवि की कल्पना -भूकंप के बाद 14

"कवि की कल्पना –भूकंप के बाद"

हमने जब मुस्कुराहतो को ढलते देखा,
खिले हुए बागीचो को उजड़ते देखा,
तो सोचा —ये कल,
शायद फिर आयेगा।

उजड़ा हुआ चमन,
फिर से खिल जाएगा।

फिर से होगा,
इक सुंदर प्रभात्त,
तब मिल सकेगे,
कल और आज।

लेकिन,
बेरहमी से उजड़ी बस्ती,
क्या फिर से बस जायेगी।

लहू -लुहान धरती,
क्या फिर उभर पायेगी

जो अपने थे कभी,
क्या वो मिलेगे हमें।

टूटे हुए दिल,
क्या फिर मुस्कुरायेगे।

मगर बीता कल,
तो बस कल्पना में ही लौटता हे,
बुझा दीपक,
सपनो में ही जलता हे।

कही हो कवि की कल्पना,
और लेखनी का कमाल,
तो फिर देखेंगे,
इस जग में,
तूफानी 'इन्कलाब'।

जब बीता कल,
फिर से लौट आयेगा,
उजड़ा हुआ संसार
फिर से बस जाएगा।

डॉ किरण बाला

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

कुछ होने वाला हे 12

"कुछ होने वाला हेः"

शायद कुछ होने वाला हे,
मन की तरंगे रुक सी गयी,
थोड़ा सा मन उदास हुआ
कुछ आने का आभास हुआ
फूलो की महक , जाती सी गयी
काँटों की चुभन, का रास हुआ।

संध्या की बेला , आने को
रोशनी खड़ी, बस जाने को
घन-घोर घटा, मन में छाई
आशा की किरण, ना फिर आई।

कुछ हाथ नही, कोई साथ नही
फिर भी यह, व्यथा हमारी हे
चाहे कुछ भी ना किया हमने
यादों की कहानी सारी हे।

डॉ किरण बाला

गुरुवार, 23 जुलाई 2009

आख़िरी क्षण 7

"आख़िरी क्षण"

व्यर्थ ना कर आँसुओ में,
वक्त की अनमोल घडिया।

बीत जानी हे क्षणों में,
साथ खिलती हे जो कलियाँ।

हर तरफ़ की बेरुखी,
एहसान एय्सा कर गयी,
मुख्त्लीफ़ हम को बना कर,
प्रेरणा से भर गयी।

आग में जल कर ही कोयला,
रौशनी फेलायेगा।

हर तरफ़ लपटों में धुल कर,
ख़ाक ही बन जाएगा।

यह हमारा,
ये तुम्हारा,
कोई भी अपना नही।

जो हे पाया,
नेक बन कर,
बस वोही संग जाएगा।

मृत्यु का ना समय कोई,
कब बुलावा आ गया।

ईश को तू याद कर ले,
ना तो फिर पछतायेगा।

डॉ किरण बाला

खुशी 6

"खुशी"

खुशी मन में हे,
मन के बाहर नही।

यहाँ देखो,
वहाँ देखो,
यहाँ खोजो,
वहाँ ढूँढो,
वः तो हे,
जहाँ चाह की दीवार नही।

इच्छा और खुशी दो बातें हे,
जिनका ना कभी भी मेल हुआ,
इक पा लो तो मन भरता न,
फिर पाने का झामैल हुआ।

इक मंजिल पार करो तब तक,
दूसरी तैयार खड़ी ही हे।

उसको भी, पाने का तुमने,
जब निश्चये ही, हर रोज किया,
तो फिर क्या हुआ,
कुछ भी ना हुआ,
आशाओं का तांता हे बंधा।

यह पाने पर,
वो पा जाना,
यह सोचना,
और घबरा जाना,
इतने से काम नही चलता,
इस जीवन में यह ना रास्ता।

यह जीवन एक तराना हे,
यहाँ फिर से आना जाना हे।

डॉ किरण बाला

आशियाना 5

"आशियाना"

कभी कितने लाचार,
हम ख़ुद को पाते।

सब समझते सोचते,
फिर भी खो जाते।

बहुत रंजोगम में खड़े हुए,
अब हेःगिरते, फिर संभल जाते।

यह तोः आशियाना हेः , ऊँचा नीचा,
कभी ना कही , पग डगमगाते।

सहज -सहज कर , चलते हेः चलना,
फूलो की बेला में काँटों को पाते।

डॉ किरण बाला

यादों के काफिले 4

"यादों के काफिले"

गुनगुना रहे हे हम,
यादों के काफिले।

मन में उमंग भर गयी,
इस तरह कुछ सोच कर।

जब हम भी,
कुछ, कभी कुछ थे
बस उन्ही लम्हों को, याद कर।

वेह उड़ती हुयी हवायं थी,
बिजली की तरहे बीत गयी।

मन में था विश्वास कुछ,
जीवन में आस कुछ,
अब तो कुछ भी ना रहा।
केवल हे यादे कुछ।

जीवन कुछ गुजर गया,
और कुछ जाएगा अब,
बहुत कुछ ना कर सके,
अधूरा रहा वह स्वप्न तब।

आज भी प्यास हे,
रौशनी की आस हे,
दिल में किरण आशा की,
और कल पर विश्वास हे।

डॉ किरण बाला

जीवन के पल 3

"जीवन के पल"

कुछ पल खुशी के
इंसान के पास।

आगे और पीछे
यादों की आस।

पल -पल वह सोचे
आगे की बातें।

आशा निराशा
किताबी हिसाब।

जब भी मिला गम,
हँसते रहे।

जल्दी -जल्दी हम चलते रहे
जीवन छोटी सी चादर सा हे
खीचो उधर तो, इधर फिर न हे।

कितना भी चाहो, बढाना इसे,
पल -पल रिस कर , पाना इसे
कुछ ही लम्हों में , गुजर जाएगा
यादो का बंधन सिरक जाएगा।

eise कहानी बनाओ अभी
मिट कर भी जीवन पायो तभी।

डॉ किरण बाला









बच्चो से जुदाई 2

"बच्चो से जुदाई"

नन्ने मुन्ने बड़े हुए जब,
निकले घर से पड़ने।

माँ के दिल की धड़कन लगती
धीरे -धीरे बड़ने।

दूर किया ना कभी था जिनको
उनकी याद सताती।

ठहर - ठहर कर अब आँखों से
अश्रू धार बह जाती।

कितना भी समझाओ मन को
बात समझ ना आती।

करने को कुछ मन ना करता
भूख प्यास मिट जाती।

लेकिन अब हम सीख रहे हे
जीवन की सच्चाई
पंख लगेगे जब बच्चो को
होगी दूर विदाई।

डॉ किरण बाला

प्रभु से दो बातें 1

'प्रभु से दो बातें

मेरे प्रभु तू मुझको दिखा
सीधा -सीधा रास्ता।

चलती चलू उस पर में अब
देती हूँ तेरा वास्ता।

जीवन के इस पहर में हूँ
जहाँ समय कम नही
मन को लगा , अपनी तरफ़
इस दुनिया में दम नही।

हंस कर चलो , हर तरफ़
खुशी मेरे मन में हो
हर दम करू याद तुझे
जीवन के पल कम ना हो।

बुद्धी नही, शक्ति नही
करने को कोई , भक्ति नही
मेरा सहारा, तू ही हे
अब इस जीवन में गम नही।

डॉ किरण बाला

बुधवार, 22 जुलाई 2009

जीवन के पड़ाव 8

"जीवन के पड़ाव"

कभी छोटे थे हम
हँसते रोते थे हम
दुनिया-दारी की कुछ भी ख़बर ना थी।

जीवन चलता रहा
वक्त ढलता रहा
जिम्मेदारी हमारी बड़ती गयी।

जब से आए यहाँ
कुछ -कुछ जाना समां
धीरे -धीरे उमरिया बड़ती गयी।

दूर कितने चले
और कब तक यहाँ
इसका कुछ भी तो हमको पता नही।

कल सुनते थे
आज सुनाते हे हम
परसों कोई ना सुनने वाला होगा
खुशिया ज़रा -ज़रा जाती रही
आख़िर ना कोई, रोने वाला होगा।

चंद शब्दों को
चंद लम्हों को
बस दिल की किताब में बंद किया
कब भी जाना हो
दिल बेगाना हो
अब तो, उसका बस, हिसाब किया ।

डॉ किरण बाला

जीवन बेला 10

"जीवन बेला"

हवा के झोंके से,
हलकी सी खुशबू,
कब और कहाँ आयी।

यू ही लबो पर,
मद्धम सी हरकत,
मन में खुशी लाई।

जीवन का हर पल
हर घड़ी
गुजरती ही जा रही।

कब आकर
कब जाना
कुछ भी, ख़बर नही।

यही की रज में बन कर
यहाँ ही पनपते हे हम
अपनी कला, अदा कर
पल -पल सरकते हे हम।

डॉ किरण बाला

प्रियतम से शिकायत 15

"प्रियतम से शिकायत

शायद समझो कभी भी ना तुम
होती हे,
कैसी तकलीफ।

प्यार के बदले,
दे देते हो
विष से लगते, वाक्य अनेक।

यू तो कोई,
जान ना सकता
मीत तुम्हारे, मन में क्या.
क्या सोचा हे, आज तुम्ही ने,
आने वाले कल में क्या।

इंतज़ार रहता हे मुझको
कब ये वक्त बदल जायगा,
जीत प्यार की उस दिन होगी,
और समय ठहर जाएगा ।

डॉ किरण बाला

समय 26

'समय'

समय का चक्र गोल हे
यह तो बहुत अनमोल हे
ना व्यर्थ तुम इसे करो
यह हर किसी का 'पोल' हे।

जहाँ खड़े हो देख कर
सभी तरफ़ समेत कर
कभी ना भूलना, ये बात,
यह हर 'समय' का खेल हे।

बहुत से पोश्दार थे,
कभी वोह रोबदार थे,
चला जो चक्र वक्त का,
खड़े पीछे कतार से।

डॉ किरण बाला

जीवन की किश्ती 63

'जीवन की किश्ती'

हम रहे किश्ती में बेठे देखते
दुसरे फूलो को आकर ले गए।

उलझनों में उलझ कर हम रह गए
सोचते थे, कुछ, कभी कुछ कह गए।

बंद ना होगा कभी यह सिलसिला
आँसुओ को रोकना मुश्किल हुआ।

हे तमाशा हो रहा, हर और अब
आज हम, कल के लिए, क्यो खो गए।

वक्त कुछ करने को, अब भी, पास हे
रौशनी की भी, अभी कुछ आस हे
हौसले को छोड़ मत, आज तू
कामयाबी अब तुम्हारे साथ हे।

डॉ किरण बाला

परदेस से लौटे भारतीय 61

"परदेस से लौटे भारतीय"

परदेस में थे हम,
परदेसी कहाते.
देश में भी आकर
दुसरे हो जाते।

घरोंदा बनने को
हम निकल पड़े थे
खो दिया बहुत कुछ
आज सोचते हे।

प्यास ना बुझी थी
रौशनी नही थी
जीवन के भंवर में
हम खो जाते।

यह कभी ना सोचा
वक्त बीतता हे
जो गुजर गया हे
वोह कभी ना पाते।

डॉ किरण बाला

मंगलवार, 21 जुलाई 2009

चाहत और ख्वाब 67

'चाहत और ख्वाब'

हमने जो भी चाहा,
वोह बहुत दूर हुआ
कही खवाबो में भी उसे पा ना सके।

यू तो चाह कर भी,
खुशी ना मिली
जो मिला नही उसको भूला ना सके।

पल में पाया ख़ुद को
नीचे गिरा हुआ
भवर में खो गए
पार जा ना सके।

इतनी रंजिशो का साथ मिला
आज हमें
जब गिरे तो ख़ुद को उठा ना सके।

डॉ किरण बाला

उड़ते पंछी 69

'उड़ते पंछी'

देख -देख कर उड़ते पंछी
ऊपर जाने को मन होता।

दूर सितारों में चंदा को
अब तो पाने को मन होता।

इस जीवन के , मध्ये में आकर
पथ को बदला सा पाया।

चलती दुनिया , बदली राहे
थोड़ा सा मन घबराया।

देख उड़ान तब पंछी की
नीरसता ने छोड़ा साथ।

मिला होंसला कुछ तब हमको
बंधी कुछ करने की आस।

डॉ किरण बाला

मेरी पडोसन 71

'मेरी पडोसन'

मेरी पडोसन
हे इक घर -वाली
रहती हे
सुबह -शाम खाली।

रखती हे वोह ख़बर
की मेरे घर कौन -कौन आया।

रखती हे वोह नज़र
की किसने बजाया
मेरे घर का ब्ज्ढ़।

उसे यह भी ख्याल रहता
की मेने किस -किस को दिया न्योता।

छुप -छुप कर परदे के पीछे से
वोह देखती हे घर में मेरे।

और कह देती हे, जब भी मिले
रहती कहाँ हो छुपी तुम,
घर की दीवारों के पीछे।

डॉ किरण बाला

बिजली संकट 72

'बिजली संकट'

बजे सुबह के दस,
बिजली हो गयी कट।

एसी ने, शुरू किया आराम
फ्रीज ने भी, बंद किया काम।

अब तो टीवी की फोटो तो हुई फट
और इन्टरनेट की लाइन गयी कट।

जब पसीने ने किया बुरा हाल
इन्वेर्टर के पंखे ने किया कमाल।

गाली देते हे , रोज बिजली वालो को हम
और बेट जाते हे चुप -चाप इंतज़ार में
की कब वोह दिन आयेगा
जब बिना बिजली के घर में
एसी , फ्रीज और कंप्यूटर चल पायेगा।

डॉ किरण बाला

शनिवार, 18 जुलाई 2009

यह दुनिया 37

'यह दुनिया'

यह दुनिया
बेरहम दिल हे
आज उसकी कल इसकी
ना इसकी कोई मंजिल हे।

बड़ी पेचीदा सी , ये एक कहानी
ना तेरी
ना मेरी
बस बीतने वाली हे जिंदगानी।

जिसके तन में he ताकत
उसने जीता हे इसको
बाकी सब की तो
हार जाने की हे इक निशानी।

डॉ किरण बाला

शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

तन और मन 20

'तन और मन'

तन की सुन्दरता मनमोहक
मन तो वोही पुराना हे।

मैला सा, धुंधला सा प्रतिबिम्ब
वोह तो हुआ बेगाना हे।

माट्टी में, जो मिल जाना हे
उसको हम सहलाते हे
कब तक रहना , इस नगरी में
भूल -भूल हम जाते हे .
डॉ किरण बाला

अकेले हम 23

'अकेले हम'

शोरोगुल बहुत हे
हम हे अकेले
थिरकते लबो पर
दुनिया के मेले।

रिश्ता हुआ मन
कुछ सोचता हे
आए अकेले
जाना अकेले।

कोशिश में रहते
मिल कर रहे hum
त्न्हायेओ को हुस कर सहे हम
कोई ना समझे
दिल की कहानी
सब गा रहे हे
अपनी जुबानी
डॉ किरण बाला

दिल की बात 24

दिल की बात
इतने बरेह जहाँ में
थेःकिउ खर्रेह अकेले
कोई ना साथ अपने
कैसे हे जग के मेलः
यूं तो मिला हे सब कुछ
लेकिन
सूकून कम हे
छोटी सी जिंदगी में
मन में हज़ार गम हे
डॉ किरण बाला

छोटा जीवन 73

'छोटा जीवन'

छोटे से जीवन में
इच्छा अनेक।
कुछ तो मिल जाता
रह जाता कुछ लेख।

कल करने को
अभी कुछ बाकी हे।
इसी आशा में गुम
होता हर एक।

डॉ किरण बाला

वह शाम 60

"वह शाम"

सुबह ढली तो शाम थी,
पता नही क्या दाम थी।

बहुत तलक थी सोचते,
मिली वोही बेनाम थी।

गुजर गयी पता नही,
किसी हलक बेकाम थी।

सरक- सरक के चल दिए,
मिली कभी वः शाम थी।

डॉ किरण बाला

बच्चो को क्या दे 19

"बच्चो को क्या दे"

देना चाहो जो तुम उनको
तो बस देना अच्छी सीख.

धन दौलत तो अच्छे लगते
लेकिन रहते सदा ना मीत।

सीखे बच्चे मेहनत करना,
यु ना समय गवाए वो।

चका -चौंध दुनिया में रह कर,
कभी भी ना अलसाये वो।

सदा रहेगी साथ उनी के
विद्या धन की यह पूँजी।

चुरा सके ना कोई आज तक
जब तक रहता हे जीवन।

डॉ किरण बाला

पति से विवाद 25

पति से विवाद 25

कुछ तुमने कही ,
कुछ हमने कही
बातो में बात , बिगर्र सी गई

यूं एसा लगने लगता हे
श्ब्दोह की ल्र्री कुछ उलजः गई

इतना तो मधुर संवाद न था
जो दूरी का सामान बने

सुंदर इस छोटी बगिया में
छुट- पुट भी काउ अंगार बने

जीवन के पथ पर चलना हे
तोह संग- संग ही साथ रहे

जो बीत गया , वो भूल चुके
आगे की बातें याद रहे

डॉ किरण बाला

हँसते-हँसते रो दिए 76

'हँसते-हँसते रो दिए'

हँसते हँसते, हम अचानक रो दिए,
हम तो खुश थे, हर तारे से
रास्ते भी खो दिए।

चलते चलते रुक गया कुछ थम गया सब
सोचते ही रह गए
की, क्या हुआ अब
यह नही की, हम कही कमजोर थे
फिर भी हम, उस नज़र से और थे।

डॉ किरण बाला

दर्द की दवा 11

दर्द की दवा

मन जब उदास
आँखों में आस,
तो कविता ही बस सहारा हे
बंधे फिक्रो को उगलने को
बस यही फिजारा हे।

सुंदर सपनो की गाथा
सभी सुनेगे।

जब भी, मन हो बेचैन
तो अकेले ही रहेगे।

खुशिया तो बांटो सभी के साथ
गम में तो स्याही, और किताब

इस तेज, दर्द की, दवा यही हे
बिखरते कणों की, अदा यही हे ।

डॉ किरण बाला

मंजिल 9

मंजिल 9
समंदर में जाने को नौका नही
मंजिल को पाने का मौका नही
निराशा में पुष्पों की बेला नही
मुकदर से कोई खेला नही
बहुत कुछ न मिलता , तो क्या हुआ
अच्छा हुआ जो भी हुआ
बेठे हुए हम सोचते
पीछे हट जाने का सोचा नही
डॉ किरण बाला

बच्चो की माँ 13

बच्चो की माँ

बहुत बार यह देखा करते
शिशुओ में उल्जेह हे हम
अब आए अब बर्रे हुए
और तब वे गयेः छोर्र कर सब

जीवन में कुछ करना हे तो
अपने लिए समय रखो
नही तो आखिरी पल में पहुँच कर
बहुत खेद होगा तुम को

यह समय तो तुम्हारा भी हे
अपने तन मन से पूछो
केवल काठ पुतली न बन कर
कुछ अच्छा तुम भी कर लो

आज पति का , कल बच्चो का
परसों कभी न आयेगा
जीवन जो तुमने पाया था
वः यो ही खो जाएगा

फिर बेठी आकाश में तुम तो
बच्चो को सेहलायोगी
पता नही वे याद भी करते
शायद तुम पछताओगी
डॉ किरण बाला

मंगलवार, 14 जुलाई 2009

"जीवन का सफर" ३९ "काफिले उठते रहे" 41

"जीवन का सफर"

कभी होंठों पर कोई बात ,
दिल से पहले आ जाती.
बिना दस्तक किए ,
रौशनी की झलक आ जाती ।

यूँ ही विचरने लगे ,
महकते फूलों में हम .
हलकी सी खुशबू ,
वहां भी आ जाती ।

लंबे सफर में आज ,
हमराही मिला .
कहीं से पतझड़ की लहर ,
उधर भी आ जाती ।

दिल तो कहता है ,
खुश , खुशहाल रहो .
फिर भी धीरे से ,
कांटो की चुभन आ जाती ।

"काफिले उठते रहे"

काफिले उठते रहे ,
कभी सच , कभी सपना था ।

मन उदास हुआ कुछ पल ,
फिर तो , पता नहीं , कौन अपना था ।

ख़बर तो घड़ी की भी नहीं ,
मगर कतार , आशा की लगी ।

उस 'कल ', जब होंगे न हम ,
इस बात की न खैर करी ।

डॉ किरण बाला

रविवार, 12 जुलाई 2009

Inner Voice

Bin maangeh Shikshaa naa dena
khush rahogeh intnaa tum
koon kareh kuch karneh do
Baat kaheh bhi baarneh doo
Akhir jeet tumari hogi
Gar rahoogeh upneh saath!

शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

बारिश

बहुत दिनों के बाद
बरसी हे बरसात

खुश हुआ मन
खिल उठा तन
गर्मी से मिली निजात!

डॉ किरण

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

आज का ख्याल!

सुबह - सुबह जब उठ कर देखा
गरम हवा थी चलती.
मन करता था
में उर्र जाऊ
जहाँ नही हो गर्मी
डॉ किरण