शनिवार, 7 दिसंबर 2013

bas chalte jao!

बस चलते जाओ !

खालीपन का यह  एहसास
इतना है दुःख दाई
पीछे ही पड़ जाता
यह  है इक सच्चाई।

सब कुछ  लगता दूर -दूर सा
ना कोइ अपना
खोय से हम रहते हर दम
टूटा सपना।

बात नहीं यह मेरी तेरी
हम सबकी हे.
दिल को नहीं सुहाती
फिर भी यह अपनी है।

अपनों ने जब दूर किया
तो क्या समझे हम।
इस दुनिया में भूल गए सब
यही दुहाई।

इकला चलना सीखो
तुम न घबराहो
जीत मिलेगी तुमको
बस चलते जाओ। 

डॉक्टर किरण बाला









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