सोमवार, 16 मई 2016

man kee baat

मन की बात


जब कभी मन में उलझन
सी आ जाती
तो कुछ ऐसा होता
की खुद पर
खुदा की
मेहरबानी
नज़र आती।

तब यकीन होता
हम ना बेचारे है।
हम तो
बहुत ख़ास है
और
ईश्वर के बहुत
पास है।

यह जिंदगी तो
तमाशा सा है
किरदारों की फितरत
इशारों का खेल
कर देता है
हर किसी को फ़ैल।

अच्छे -अच्छे
चक्कर में
आ जाते
जरा सी बात से
घबरा जाते
कोसने लगतेः
कभी खुद को
और कभी
कई बहाने
बना जाते।

डॉ किरण बाला 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें