सोमवार, 9 नवंबर 2009

यह ही जीवन हे

चलते चलते जीवन में
कुछ ऐसे पल भी आते
भूल चुके सब किसे मसले
आज याद आ जाते।

बेठे बेठे सोच सोच कर
मन फिर कुछ भर आता
कएय्सा किसने किया तभी था
याद आज आ जाता।

समझा लो तुम मन को कितना
फिर भी मन चंचल हे
उस की सोच बदल न सकते
यह ही तो जीवन हे।

डॉ किरण बाला

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