गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

ह्दय शिकवो से हे भरा

वही तन गर्व था जिस पर

धोखा दे ही जाता हे

हमें आश्रित बना कर यु

गलानी सी कराता हे।

सभी ने फेर ली आंखे

न सुन सकते वो यह गाथा

न तन में जान हे ज्यादा

न मन में शान्ति का मंजर

ह्दय शिकवो से हे भरा

मगर एहसान हे ज्यादा।

डॉ किरण बाला

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