सुस्ता रहे शमशान में
धुआ उठे बेजान से
हे मंजिले सबकी वही
जीता रहे जो भी कही।
डॉ किरण बाला
I have written poems from published hindi poetry book titled 'dil ke batein'. I am a pediatrician and a published writer and poet.Presenting my views to others is my hobby.
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