'गुजरात में हिंदू मुस्लिम दंगो के बाद'
शांत नगर में थी खुशहाली,
चारो तरफ़ उजाला था।
मिल -जुल कर हर कोम वहाँ थी,
प्यार मेल का संगम था।
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई
आपस में थे भाई -भाई
लेकिन इक चिंगारी ने जब
भीषण आग लगाई।
पता चला न तभी किसी को,
किसने चाल चलायी।
वेर भावः की चली लडाई,
ghrena
बुधवार, 26 अगस्त 2009
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