बुधवार, 26 अगस्त 2009

निर्झर झरना और हम 28

'निर्झर झरना और हम '

निर्झर झरने की तरेह ,हम भी,
आवाज़ की दुनिया में रहते।

शोरोगुल रहता आस- पास,
दुनिया से बेखबर हम रहते।

जल का जो उजलापन देखा,
तन ,मन , धन ,उसका कर ही दिया।
आते जाते पाथेको को
सुन्दरता का उपहार दिया
आभास हुआ तब एइसा कुछ
ऊपर जाने वाला गिरता हे
नीचे तो सब को आना हे
यह आवागमन पुराना हे।

पानी की तेजी देख- देख
मन करता हे हम भी भागे
छोडे अब धीरे चलना हम
आगे जाने की सोचे।
डॉ किरण बाला

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