'आश्रितों से व्यवहार '
इश के बने इंसान को,
तुम प्यार करो बस प्यार करो ।
भूल हो गयी कोई उनसे
माफ़ करो और जाने दो ।
बहुत बड़ा दिल अपना रखो,
छोटी बातों में न उलझो।
यो न व्यर्थ गवाओ समय को,
माफ़ करो और जाने दो।
दूर सफर के हो तुम रही,
बहुत दूर तक jaana हे।
अर्जित कर लो साज -समग्री,
जीवन में कुछ पाना हे।
डॉ किरण बाला
शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
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