'कल क्या हुआ '
कल क्या हुआ
उस का हिसाब नही
आने वाले पलो का
जवाब नही।
जो आज हो रहा हे
उसे समझ न सके
कुछ पा लेने का इंतजार नही।
बुलंद सपनो के
बीच गुजर करे
कैसे करे बसर
कुछ मुख्त्यार नही।
डॉ किरण बाला
सोमवार, 31 अगस्त 2009
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