शनिवार, 29 अगस्त 2009

तो क्या समझे 56

'तो क्या समझे'

बीच बेठे भीर में हे रो रहे
बात कर न सके
तो क्या समझे।

असीम दुनिया के दरिया में खो रहे
उभर न सके
तो क्या समझे।

जब कभी दर्दे दिल की बात
अपनों से न कह सके
तो क्या समझे

डॉ किरण बाला

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