'अपने आप को समझाते हुय'
क्यो मुरझाये पुष्प की तरेह,
समय बिताते हो।
जो भी अच्छा नही हुआ
क्यो दिल को लगाते हो।
सोच समझ तो बहुत मिली हे
क्यो यु ही ghabrate हो।
jo bhee achha pas tumare
use bhulate ho.
chhoti chhoti andhi he
jo kal ud jayegi.
charo taraf ujala hoga,
khushbo mehkayegi.
dr kiran bala
शनिवार, 29 अगस्त 2009
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