'स्वपन की बात'
दूर तार की घंटी बजती,
दिल कुछ डरने लगता ।
सोच-सोच कर स्वपन raat का,
धक्-धक् करने लगता।
ho na ho, ab mila
रविवार, 23 अगस्त 2009
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I have written poems from published hindi poetry book titled 'dil ke batein'. I am a pediatrician and a published writer and poet.Presenting my views to others is my hobby.
ब्लागिंग जगत में आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंblog duniya men aapka swaagat hai
जवाब देंहटाएंbhaavon ko vyakt karti sundar kavita
आज की आवाज
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
जवाब देंहटाएंलगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
khab dekiye din main.
जवाब देंहटाएंun sapanon ko auron
se jodiye
dekiye tab kya hota hai.
जीवन तो एक स्वप्न है और स्वप्न की बात।
जवाब देंहटाएंनहीं स्वप्न हो शेष गर जीवन काली रात।।
टिप्पणीकर्त्ताओं की आसानी के लिए वर्डवेरीफिकेशन हँटाने का उपाय करें।