'इंसान केवल ४० वर्ष तक जीए तो कैसा होय '
शायद सास -बहु की लड़ैया न होती
न होता घुटनों को बदलवाने का ऑपरेशन
न होती टेंशन बाल काले करने की।
दातों के डॉक्टर के जबड़े न बिकते
प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत कम होती
न बिकते बहुत हेअरिंग ऐड्स।
केमिस्ट की दुकानों में
टोनिक कम दीखते
न होती ज्यादा वाकर और स्तिच्क्स की सेल।
कही बच्चो को कहानिया सुनाने वाली नानी न होती
न होते प्यार करने वाले दादा -दादी।
जरा सोचो शादियो की बारात में कोई वाकर के सहारे न चलता
और पैर छू -छू कर आशीर्वाद लेने का सिलसिला भी कुछ ढलता।
कोई चिरंजीव होने की दुआ न देता।
और बुदापे के झंझटो से किनारा हो जाता।
माबाप बुडे होने के दर्द से बच जाते।
और बेरहम बच्चो के चर्चे कम होते।
यह जीवन कितना सुंदर होता!
हम सब जवान होते और बेरहम बुदापे से न खफा होते।
डॉ किरण बाला
बुधवार, 2 सितंबर 2009
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मेरे छब्बीस की उम्र में ही बाल उड़ने शुरू हो गए थे, बालों की सफेदी तो पंद्रह की उम्र से है... क्या मैं इतनी कम उम्र में ही बुढा गया हूँ?
जवाब देंहटाएंkya krantikaari vichar hai
जवाब देंहटाएं20 ki umar mai hi log kahte ab to sudhar jao yaar aadhi umar nikal gayi
I am from medical profession and I have seen older people suffering. so in my imagination--this world will be more beautiful if only there are all young people.
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