'साथ -साथ चलते रहे'
दिल की बातों ने
खंजर सा जहर क्या दिया
लहुलुहान हुए
दर्द पी लिया ।
आंख से आंसू
उमड़ते चले
खयालो की गरमाई ने सुकून दिया।
डगमगाते कदमो की आहट पाकर
मन को यु ही काबू कर लिया।
सिरकटे रिश्ते जब मिले
नाजुक हाथो में थाम लिया
भुल्भुलायेओ के सुहाने सफर में
निकले जो थे
न वो मिले
न हुम झुके
साथ -साथ चलते रहे।
डॉ किरण बाला
बुधवार, 2 सितंबर 2009
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