'माया जाल'
जनम कई लिए हमने
मन तो वोही पुराना हे।
इस चोले से उस चोले तक
चलते हमने जाना हे।
इसी बात को याद जो करते
माया के न जाल फंसे
इस दुनिया में रहते रहते
फिर भी उसको याद करे।
करम काल हे मुश्किल इतना
फल की इच्छा प्रबल रहे
कितना भी चाहो न फँसना
फिर भी बंधन साथ रहे।
डॉ किरण बाला
शुक्रवार, 18 सितंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें