'ढोंगी'
धर्म का ढोंग
करते यह लोग।
मन kee स्याही को छुपा कर
बनते सफ़ेद पोश।
कलयुग में हे
इनका बोल बाला
भोले भाले लोगो को
दिखाते रूप निराला।
इतना vebhav और धन हे इनके पास
अच्छे अच्छो का करते मन निराश।
डॉ किरण बाला
सोमवार, 7 सितंबर 2009
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