'समझो और पार पायो'
dunea हे खेल ऐसा
समझो तो पार पायो
गर न मिला हे कुछ भी
तो भूल भूल जायो।
duniya नही तमाशा
जिसका मजा उठाओ
यह हे नही जुआ भी
जिसमे कही लुटाओ।
यह हे नही कलि
जिसको फूल बनाओ।
यह तो हे इक खुदगर्जी
समझ बूझ कर अपनाओ
duniya हे बहुरुपीआ
जिसको समझो और पार पायो।
डॉ किरण बाला
मंगलवार, 15 सितंबर 2009
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