शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

अकेले हम 23

'अकेले हम'

शोरोगुल बहुत हे
हम हे अकेले
थिरकते लबो पर
दुनिया के मेले।

रिश्ता हुआ मन
कुछ सोचता हे
आए अकेले
जाना अकेले।

कोशिश में रहते
मिल कर रहे hum
त्न्हायेओ को हुस कर सहे हम
कोई ना समझे
दिल की कहानी
सब गा रहे हे
अपनी जुबानी
डॉ किरण बाला

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