"कुछ होने वाला हेः"
शायद कुछ होने वाला हे,
मन की तरंगे रुक सी गयी,
थोड़ा सा मन उदास हुआ
कुछ आने का आभास हुआ
फूलो की महक , जाती सी गयी
काँटों की चुभन, का रास हुआ।
संध्या की बेला , आने को
रोशनी खड़ी, बस जाने को
घन-घोर घटा, मन में छाई
आशा की किरण, ना फिर आई।
कुछ हाथ नही, कोई साथ नही
फिर भी यह, व्यथा हमारी हे
चाहे कुछ भी ना किया हमने
यादों की कहानी सारी हे।
डॉ किरण बाला
शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
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