"परदेस से लौटे भारतीय"
परदेस में थे हम,
परदेसी कहाते.
देश में भी आकर
दुसरे हो जाते।
घरोंदा बनने को
हम निकल पड़े थे
खो दिया बहुत कुछ
आज सोचते हे।
प्यास ना बुझी थी
रौशनी नही थी
जीवन के भंवर में
हम खो जाते।
यह कभी ना सोचा
वक्त बीतता हे
जो गुजर गया हे
वोह कभी ना पाते।
डॉ किरण बाला
बुधवार, 22 जुलाई 2009
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