"नव विवाहाहित पति, पत्नी को क्या कहता हे"
बहुत सोच समझ कर,
मेने तुमको हे अपनाया।
अपनी , प्रेम भरी नादिया में,
हे तुमको सहलाया।
जो भी कुछ हे मेरा,
अर्पण किया तुम्ही को।
सब जग को में भूल गया,
और नित -चित किया मन को।
जैसा भी हूँ,
रहूँ तुम्हारा,
इच्छा ये करता हूँ।
प्यार भरे कुछ पल पाने को
दिल से कुछ कहता हूँ।
इश्वर के आगे,
तुम ही हो,
पूजा करू तुम्हारी।
बदले में जो कुछ मिल जाए
समझू वारी नयारी।
डॉ किरण बाला
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