मंगलवार, 21 जुलाई 2009

मेरी पडोसन 71

'मेरी पडोसन'

मेरी पडोसन
हे इक घर -वाली
रहती हे
सुबह -शाम खाली।

रखती हे वोह ख़बर
की मेरे घर कौन -कौन आया।

रखती हे वोह नज़र
की किसने बजाया
मेरे घर का ब्ज्ढ़।

उसे यह भी ख्याल रहता
की मेने किस -किस को दिया न्योता।

छुप -छुप कर परदे के पीछे से
वोह देखती हे घर में मेरे।

और कह देती हे, जब भी मिले
रहती कहाँ हो छुपी तुम,
घर की दीवारों के पीछे।

डॉ किरण बाला

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें