मंगलवार, 21 जुलाई 2009

उड़ते पंछी 69

'उड़ते पंछी'

देख -देख कर उड़ते पंछी
ऊपर जाने को मन होता।

दूर सितारों में चंदा को
अब तो पाने को मन होता।

इस जीवन के , मध्ये में आकर
पथ को बदला सा पाया।

चलती दुनिया , बदली राहे
थोड़ा सा मन घबराया।

देख उड़ान तब पंछी की
नीरसता ने छोड़ा साथ।

मिला होंसला कुछ तब हमको
बंधी कुछ करने की आस।

डॉ किरण बाला

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