'उड़ते पंछी'
देख -देख कर उड़ते पंछी
ऊपर जाने को मन होता।
दूर सितारों में चंदा को
अब तो पाने को मन होता।
इस जीवन के , मध्ये में आकर
पथ को बदला सा पाया।
चलती दुनिया , बदली राहे
थोड़ा सा मन घबराया।
देख उड़ान तब पंछी की
नीरसता ने छोड़ा साथ।
मिला होंसला कुछ तब हमको
बंधी कुछ करने की आस।
डॉ किरण बाला
मंगलवार, 21 जुलाई 2009
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