"में क्या नही"
जब पूछा किसी ने
किसी से
तुम क्या हो ?
तो जवाब मिला -में कुछ भी नही
फिर आवाज़ आयी
क्या तुम औंस की बूँद भी नही
जो कर देती हे उजाला।
क्या तुम फूल की कली भी नही
जो खिलने का करती इंतजार।
क्या तुम हवा का झोंका भी नही
जो सुगन्धित जोश उड़ा रहा हे।
क्या तुम नदी का बहाव भी नही
जो पा जाता हे किनारा।
डॉ किरण बाला
शनिवार, 25 जुलाई 2009
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