"बच्चो से जुदाई"
नन्ने मुन्ने बड़े हुए जब,
निकले घर से पड़ने।
माँ के दिल की धड़कन लगती
धीरे -धीरे बड़ने।
दूर किया ना कभी था जिनको
उनकी याद सताती।
ठहर - ठहर कर अब आँखों से
अश्रू धार बह जाती।
कितना भी समझाओ मन को
बात समझ ना आती।
करने को कुछ मन ना करता
भूख प्यास मिट जाती।
लेकिन अब हम सीख रहे हे
जीवन की सच्चाई
पंख लगेगे जब बच्चो को
होगी दूर विदाई।
डॉ किरण बाला
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
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