शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

तन और मन 20

'तन और मन'

तन की सुन्दरता मनमोहक
मन तो वोही पुराना हे।

मैला सा, धुंधला सा प्रतिबिम्ब
वोह तो हुआ बेगाना हे।

माट्टी में, जो मिल जाना हे
उसको हम सहलाते हे
कब तक रहना , इस नगरी में
भूल -भूल हम जाते हे .
डॉ किरण बाला

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