शनिवार, 18 जुलाई 2009

यह दुनिया 37

'यह दुनिया'

यह दुनिया
बेरहम दिल हे
आज उसकी कल इसकी
ना इसकी कोई मंजिल हे।

बड़ी पेचीदा सी , ये एक कहानी
ना तेरी
ना मेरी
बस बीतने वाली हे जिंदगानी।

जिसके तन में he ताकत
उसने जीता हे इसको
बाकी सब की तो
हार जाने की हे इक निशानी।

डॉ किरण बाला

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