"जीवन का सत्य"
मतलब हे ख़ुद से,
ख़ुद का,
ख़ुद से ही रहेगा।
जिंदगानी बीत जाने पर,
कुछ ना बचेगा।
यह चंद दिन का आशियाना हे
यहाँ आकर सभी को जाना हे।
मिटने को यहाँ कुछ नही,
यहाँ तो ख़ुद ही मिट जाना हे।
बुलबुले ऐ मेरे मन,
संभल जा।
जलती चिंगारियों से निकल जा।
बीत जाने पर कुछ ना बचेगा,
यह सब मिथ्या सी झलक हे
सत्य से दूर रहने की महक हे।
उसी को पाने की , मन में किरण हे
मिल जाए वह, यही मेरा मन हे।
डॉ किरण बाला
रविवार, 26 जुलाई 2009
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