"बारी आयी"
सुनते-सुनते,
सुनाने की बारी आयी।
सुबह ढल गयी,
अब शाम आयी.
हम कभी भी,
यू ना थे झुकते,
अब झुकने-झुकाने की बारी आयी।
अब तो मुरझा गया हे यह बदन,
मरहम -पट्टी,
लगाने की बारी आयी।
चंद लम्हों की खुशी,
बाकी बची,
अब तो ऊपर जाने की बारी आयी।
डॉ किरण बाला
शनिवार, 25 जुलाई 2009
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