शनिवार, 25 जुलाई 2009

बारी आयी 21

"बारी आयी"

सुनते-सुनते,
सुनाने की बारी आयी।

सुबह ढल गयी,
अब शाम आयी.

हम कभी भी,
यू ना थे झुकते,
अब झुकने-झुकाने की बारी आयी।

अब तो मुरझा गया हे यह बदन,
मरहम -पट्टी,
लगाने की बारी आयी।

चंद लम्हों की खुशी,
बाकी बची,
अब तो ऊपर जाने की बारी आयी।

डॉ किरण बाला

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