"जीवन के पल"
कुछ पल खुशी के
इंसान के पास।
आगे और पीछे
यादों की आस।
पल -पल वह सोचे
आगे की बातें।
आशा निराशा
किताबी हिसाब।
जब भी मिला गम,
हँसते रहे।
जल्दी -जल्दी हम चलते रहे
जीवन छोटी सी चादर सा हे
खीचो उधर तो, इधर फिर न हे।
कितना भी चाहो, बढाना इसे,
पल -पल रिस कर , पाना इसे
कुछ ही लम्हों में , गुजर जाएगा
यादो का बंधन सिरक जाएगा।
eise कहानी बनाओ अभी
मिट कर भी जीवन पायो तभी।
डॉ किरण बाला
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
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