गुरुवार, 23 जुलाई 2009

जीवन के पल 3

"जीवन के पल"

कुछ पल खुशी के
इंसान के पास।

आगे और पीछे
यादों की आस।

पल -पल वह सोचे
आगे की बातें।

आशा निराशा
किताबी हिसाब।

जब भी मिला गम,
हँसते रहे।

जल्दी -जल्दी हम चलते रहे
जीवन छोटी सी चादर सा हे
खीचो उधर तो, इधर फिर न हे।

कितना भी चाहो, बढाना इसे,
पल -पल रिस कर , पाना इसे
कुछ ही लम्हों में , गुजर जाएगा
यादो का बंधन सिरक जाएगा।

eise कहानी बनाओ अभी
मिट कर भी जीवन पायो तभी।

डॉ किरण बाला









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