"बेबसी"
बेबस क्यो इतने
हम हे बेचारे।
यू तो हे कहते
सब हे हमारे।
जब वक्त पड़ता
कोई ना अपना।
सारे जहाँ में
खड़े बेसहारे।
मुश्किल बहुत हे
मन को सुझाना
कौन हे अपना
या वोह बेगाना।
इतना समझकर भी
उलझा सा मन हे
एय्से लगे जैसे
जीवन बंधन हे।
डॉ किरण बाला
रविवार, 26 जुलाई 2009
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Wonderful expression, nice imagery, lucid language, great potential - all simply great. Congratulations, Dr. Kiran Bala!
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