शनिवार, 25 जुलाई 2009

भूल सके 27

"भूल सके"

ऐसा कुछ हे,
जो हम चाहे,
याद -याद कर,
भूल सके।

कुछ भी पा ले,
या समझा ले,
सोच -सोच कर भूल सके।

बहुत दूर तक निकल गए हम,
फिर भी यादें ताज़ी हे,
हर दिन सोचे,
फिर कुछ समझे,
हाय क्यो ना भूल सकें।

मित्र हमारे कई बने थे,
कई पार भी थे निकले,
फिर भी रह -रह कर हम सोचे,
क्यो ना सब कुछ भूल सके।

डॉ किरण बाला

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